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अलग से भी किसी राज्य में हो सकेगा चुनाव... वन नेशन वन इलेक्शन बिल में रहेगा प्रावधान

वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक में उस परिस्थिति के लिए प्रावधान किया गया है, जहां विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ नहीं कराए जा सकते हैं. इसके लिए चुनाव आयोग अपनी सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज सकता है और राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया जा सकता है.

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एक देश एक चुनाव से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश हो सकता है.
एक देश एक चुनाव से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश हो सकता है.

वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा विधेयक लोकसभा में 17 दिसंबर को पेश हो सकता है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस विधेयक को लोकसभा के पटल पर रखेंगे. इसे संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024 कहा जा रहा है. विधेयक को चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजा जा सकता है. इस विधेयक में सेक्शन 2 के सब क्लॉज 5 में अलग से भी किसी राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाने का प्रावधान किया गया है.

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जिस विधेयक के जरिए देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी चल रही है, उसमें उन परिस्थितियों के लिए भी प्रावधान किया गया है जब किसी विधानसभा का चुनाव लोकसभा के साथ नहीं कराया जा सकता है. संविधान संशोधन विधेयक में कहा गया है कि राष्ट्रपति एक आदेश जारी कर सकते हैं कि जो विधानसभा, लोकसभा के साथ चुनाव नहीं करा सकती, वो बाद में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवा सकती है.

क्या प्रावधान किया गया है?

दरअसल, संविधान (129वां) संशोधन विधेयक की धारा 2 में उपधारा 5 के अनुसार, यदि चुनाव आयोग की राय है कि किसी विधानसभा का चुनाव लोकसभा के आम चुनाव के साथ नहीं कराया जा सकता है तो वो राष्ट्रपति को अलग से चुनाव कराए जाने की घोषणा करने की सिफारिश कर सकता है. राष्ट्रपति एक आदेश जारी करेंगे और उस राज्य में बाद में विधानसभा चुनाव में कराए जा सकते हैं.

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विधेयक में संविधान में एक नया अनुच्छेद शामिल करने और लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था बनाने के लिए तीन अनुच्छेदों में संशोधन करने का भी प्रावधान किया गया है.

इस विधेयक में एक नए अनुच्छेद 82ए को शामिल करने का प्रस्ताव है जिसके तहत लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 में (विधानमंडलों के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाना है.

इसमें यह भी प्रावधान है कि इसके कानून बनने पर आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना की वह तारीख नियत तारीख कहलाएगी. लोकसभा का कार्यकाल उस नियत तिथि से पांच वर्ष का होगा.

नियत तिथि के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले विधानसभाओं के चुनावों के लिए उनका कार्यकाल भी लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के खत्म होने पर समाप्त हो जाएगा. प्रस्ताव के मुताबिक, इसके बाद लोकसभा और विधानसभाओं के सभी आम चुनाव एक साथ कराए जाएंगे.

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