चुनावी बॉन्ड को लेकर मचे घमासान के बीच चुनाव आयोग ने बॉन्ड खरीदने वाली कंपनिीयों की डिटेल वेबसाइट पर अपलोड कर दी है. जानकारी को दो पार्ट में अपलोड किया गया है. पहले हिस्से में 337 पेज, जबकि दूसरे हिस्से में 426 पेज हैं. पहले पार्ट में चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और संस्थाओं के नाम और खरीद की तारीख के साथ पैसों की जानकारी दी गई है तो वहीं दूसरे पार्ट में राजनीतिक दलों के नाम, तारीख और चंदा राशि की डिटेल है.
चुनावी चंदे की लिस्ट सामने आने के बाद कांग्रेस ने एक बड़ा सवाल उठाया है. कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि जब डोनर्स (दानदाताओं) की संख्या 20, 421 है तो फिर दान हासिल करने वाली फाइलों की संख्या 18,871 क्यों है? कांग्रेस ने कहा है कि यह एक बड़ी विसंगति है. कांग्रेस के संचार विभाग में रिसर्च और मॉनिटरिंग के प्रभारी अमिताभ दुबे ने पूछा है कि जब चुनावी बॉन्ड की स्कीम 2017 में शुरू हो गई थी तो डेटा अप्रैल 2019 से क्यों दिया जा रहा है?
एंट्री में अंतर पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
दरअसल, चंदा देने वालों की जो फाइल चुनाव आयोग ने अपलोड की है, उसमें 18,871 एंट्री दर्ज हैं. वहीं, इसके उलट चंदा प्राप्त करने वालों की फाइल में 20,421 एंट्रियां ही दर्ज हैं. अमिताभ दुबे ने सोशल मीडिया पर पूछा है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एंट्री में अंतर क्यों है? दुबे की पोस्ट को शेयर करते हुए कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा,'चुनावी बांन्ड योजना, जहां पारदर्शिता चयनात्मक भूलने की बीमारी लगती है. मुझे नहीं लगता कि डोनर्स का आंकड़ा 18,871 और हासिल करने वालों का आंकड़ा 20,421 होना महज एक संयोग है.'
श्रीनिवास बीवी ने भी खड़े किए सवाल
मनिकम टैगोर ने कहा,'SBI ने वास्तव में सभी चीजें छिपाने की कला में महारत हासिल कर ली है. वहीं, यूथ कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बीवी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' का मतलब है कि मैं कंपनियों को धमकाऊंगा, ईडी के छापे डलवाऊंगा, चंदा इकट्ठा करूंगा और बीजेपी का खजाना भरता रहूंगा.
इन उद्योगपतियों ने खरीदे बॉन्ड
बता दें कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों में स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज समेत कई कंपनियों का नाम शामिल है. फ्यूचर गेमिंग, जिसकी मार्च 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की गई थी, ने दो अलग-अलग कंपनियों के तहत 1,350 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बांड खरीदे.
मेघा इंजीनियरिंग: खरीदे 966 करोड़ के ब्रॉन्ड
जाने-माने कॉरपोरेट्स में अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड ने 398 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जबकि सुनील मित्तल की तीन कंपनियों ने मिलकर कुल 246 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. स्टील टाइकून लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में 35 करोड़ रुपये के बांड खरीदे. हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग, जिसने कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए अनुबंध हासिल किया है, 966 करोड़ रुपये के बांड खरीदे.