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सेना की वर्दी पहन बेटे ने किया सैल्यूट, हाथ जोड़े खड़ी रही मां... शहीद कर्नल-मेजर की अंतिम विदाई में हर आंख नम

बुधवार को घाटी के कोकोरेनाग इलाके के ऊंचे इलाकों में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कर्नल और मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक उपाधीक्षक शहीद हो गए थे. अनंतनाग के गडूल कोकेरनाग में चौथे दिन भी आतंकियों से एनकाउंटर हो रहा है. सुरक्षा बल पहाड़ पर छिपे आतंकवादियों पर ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर से हमला कर रहे हैं.

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कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष को शुक्रवार को देश ने अंतिम विदाई दी
कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष को शुक्रवार को देश ने अंतिम विदाई दी

अनंतनाग के कोकेरनाग में पहाड़ी पर घेरे गए आतंकियों से चार दिनों से मुठभेड़ जारी है. ड्रोन से बम गिराए जा रहे हैं. रॉकेट लॉन्चर से वार करके आतंकियों पर प्रहार किया जा रहा है. इन्हीं आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बुधवार को शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष को आज शुक्रवार को देश ने अंतिम विदाई दी. देश की रक्षा में सिर्फ एक सैनिक शहीद ही नहीं होता, देश एक राष्ट्ररक्षक को खोता है. परिवार अपने बेटे, पति, पिता को खोता है. 

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मोहाली के कर्नल मनप्रीत सिंह को सात साल के बेटे कबीर ने एक सैनिक की तरह वर्दी पहनकर मुखाग्नि दी. इस दौरान बेटे और बेटी ने सैल्यूट किया. पत्नी और मां ने हाथ जोड़कर अंतिम प्रणाम किया. सेना के एक अफसर मनप्रीत के बेटे को गोद में लिए नजर आए, जबकि परिवार और अन्य लोग शहीद कर्नल को अंतिम विदाई दे रहे थे. कर्नल मनप्रीत की पत्नी, बहन, मां और परिवार के अन्य सदस्य गमगीन थे. 

2016 में हुई थी मनप्रीत सिंह की शादी

संदीप सिंह ने बताया कि मनप्रीत भैया अपने परिवार से बेहद प्यार करते थे. सारा परिवार मोहाली में रहता है. लेकिन भाभी जगमीत ग्रेवाल टीचर हैं. उनकी पोस्टिंग मोरनी के सरकारी स्कूल में है. इसलिए वह बेटे कबीर सिंह और बेटी वाणी के साथ अपने माता-पिता के घर यानि पंचकूला में रह रही हैं, क्योंकि वहां से भाभी का स्कूल पास में है. भाभी को पहले हमने इस बात की जानकारी नहीं दी थी कि भैया शहीद हो गए हैं. बाद में उन्हें इस बारे में बताया गया. मनप्रीत सिंह की साल 2016 में पंचकूला निवासी जगमीत कौर से शादी हुई थी.

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मेजर आशीष की भी अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

आज ही देश ने पानीपत के मेजर आशीष धौंचक को भी अंतिम प्रणाम किया है. जो घने जंगलों में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने के बाद भी आतंकियों का मुकाबला करना चाहते थे. इसी महीने की तेईस तारीख को मेजर आशीष अपने जन्मदिन पर घर आने वाले थे. नए घर में अपने पूरे परिवार को लेकर जाने वाले थे. उससे पहले तिरंगे में लिपटकर पहुंचे.  

गाड़ी की आगे की सीट पर हाथ जोड़कर अपने बेटे को अंतिम विदाई देती एक मां को देखकर हर किसी का दिल पसीज गया. जिसने भी शुक्रवार को इस मां का वीडियो देखा, वो ये ही कहता रहा कि नमन है इन मां को, जो अपने वीर बेटे मेजर आशीष की शहादत के बाद अंतिम प्रणाम कर रही हैं. तीन बहनों के अकेले भाई और ढ़ाई साल की बेटी के पिता मेजर आशीष देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए.

2012 में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे आशीष

25 साल की उम्र में आशीष 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे. ठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे. 2018 में काबिलियत के दम पर आगे बढ़ते हुए मेजर बने. दोस्तों से हमेशा आतंकियों को खत्म करके शांति लाने की बात करने वाले मेजर आशीष के अंतिम सफर में पानीपत में दस हजार से ज्यादा लोग जुटते हैं.  भारत माता की जय के नारों के साथ पूरा पानीपत में गूंजता नजर आया. 

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चार दिनों से अनंतनाग में जारी है एनकाउंट

बता दें कि बुधवार को घाटी के कोकोरेनाग इलाके के ऊंचे इलाकों में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कर्नल और मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक उपाधीक्षक शहीद हो गए थे. अनंतनाग के गडूल कोकेरनाग में चौथे दिन भी आतंकियों से एनकाउंटर हो रहा है. सुरक्षा बल पहाड़ पर छिपे आतंकवादियों पर ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर से हमला कर रहे हैं. सेना के कमांडो, स्निफर डॉग्स, ड्रोन, हेलिकॉप्टर आतंकियों को खोज रहे हैं. आतंकियों को घेरा जा चुका है और कभी भी आतंकियों के ढेर किए जाने की खबर आ सकती है.

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