दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारी भी सरकारी विभाग में अनुबंध पर काम कर सकते हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि वीआरएस नियम सरकारी कर्मचारियों को अनुबंध/परामर्शदाता के रूप में नियुक्त करने में कोई बाधा नहीं बनेगा. 12 जनवरी को जारी अपने फैसले में हाई कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि वीआरएस का लाभ उठाने वाले कर्मचारी भी भारत सरकार के किसी भी विभाग में संविदात्मक रोजगार के लिए पात्र हैं.
जस्टिस वी. कामेश्वर राव और अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने BSNL से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने वाले दो कर्मचारियों की याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है.
DPE (सार्वजनिक उद्यम विभाग) के दिशानिर्देश के मुताबिक, वीआरएस ले चुके लोगों को भारत सरकार के साथ परामर्श/संविदात्मक जुड़ाव सहित किसी अन्य CPSE में रोजगार से रोका नहीं जा सकता. क्योंकि यह 2019 में पारित वीआरएस नियमों का उल्लंघन है.
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि VRS नीति 2019 को अधिसूचित किए जाने के बाद सरकार VRS की शर्तों को 'एकतरफा रूप से बदल' नहीं सकती है. पॉलिसी खुद वीआरएस को रिटायरमेंट के बराबर रखती है.
अदालत ने कहा, 'वीआरएस चुनने वालों द्वारा संविदात्मक/परामर्श के आधार पर रोजगार की उम्मीद और रिटायरमेंट की आयु तक पहुंचने वाले कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार किया जाना एक वैध अपेक्षा प्रतीत होती है.'