शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत के आरोपों का पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया है. दरअसल, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी को मिली करारी शिकस्त के बाद संजय राउत ने हार का ठीकरा पूर्व CJI पर फोड़ा था. राउत के आरोप पर पूर्व CJI ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले की सुनवाई को प्राथमिकता देगा, यह तय करना चीफ जस्टिस का काम है. कोई शख्स या फिर कोई पार्टी यह तय नहीं कर सकती है.
एजेंसी से बात करते हुए पूर्व CJI ने 26 नवंबर को कहा,'पूरे साल हम मौलिक और संवैधानिक मामलों का निपटारा करते रहे. हमने कई मुद्दों पर सुनवाई की, जिसमें 9 जज, 7 जज और 5 जजों की बेंच में आए मामले भी शामिल हैं. क्या अब किसी एक पक्ष का व्यक्ति तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? यह फैसला लेने का अधिकार चीफ जस्टिस के पास है.'
MVA की करारी शिकस्त के बाद आया राउत का बयान
बता दें कि पूर्व CJI पर संजय राउत ने तब आरोप लगाया था, जब महाराष्ट्र चुनाव में शिवसेना (UBT), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (SP) बुरी तरह हार गई थी. दरअसल, महाराष्ट्र की 288 में से महज 49 विधानसभा सीटों पर ही MVA को जीत मिल सकी है. जबकि महायुति ने 233 सीटों पर जीत दर्ज कर रिकॉर्ड कायम कर दिया है.
'राजनेताओं के मन से खत्म हो गया कानून का डर'
महाराष्ट्र में करारी शिकस्त के बाद संजय राउत ने कहा था कि डीवाई चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं किया. इसलिए राजनेताओं के मन से कानून का डर खत्म हो गया और राजनीतिक दलबदल हुआ. आखिरकार MVA गठबंधन की हार हुई.
'सुप्रीम कोर्ट में 20 साल पुराने मामले भी लंबित'
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा,'हमें काम के लिये जो समय मिला है, अगर हम उसमें से एक मिनट भी काम नहीं करते हैं तो आप हमारी आलोचना कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में 20 साल से जरूरी संवैधानिक मामले लंबित हैं. ये भी कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट इन 20 साल पुराने मामलों को क्यों नहीं ले रहा और ताजा मामलों की सुनवाई कर रहा है? अगर पुराने मामलों की सुनवाई की जाती है तो अदालत पर हाल के मामले को न लेने का आरोप लगता है.'
'गिनाए चुनावी बॉन्ड से लेकर AMU तक के फैसले'
उद्धव गुट के आरोपों का जवाब देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा,'असली समस्या यह है कि एक राजनीतिक वर्ग यह महसूस करता है कि अगर आप मेरे एजेंडे का पालन करते हैं तो आप स्वतंत्र हैं. हमने चुनावी बॉन्ड पर फैसला किया. क्या यह जरूरी नहीं था?' पूर्व सीजेआई ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम मामले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सहित दूसरे मामलों पर आए फैसलों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि हमने अपने कार्यकाल में 38 संविधान पीठ के संदर्भों पर फैसला किया.