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पटना: विपक्ष की बैठक में केजरीवाल ने दिया चाय का प्रस्ताव, राहुल गांधी से नहीं मिला समय

बैठक के घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने बैठक में दो स्पष्ट मांगें रखीं. पहला कांग्रेस को दिल्ली के अध्यादेश पर अपना रुख सार्वजनिक करना चाहिए. दूसरा कांग्रेस को संसद में एनसीसीएसए का विरोध करना चाहिए.

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पटना में हुई विपक्षी नेताओं की बैठक
पटना में हुई विपक्षी नेताओं की बैठक

पटना में विपक्ष की बैठक के दौरान आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अलग से चाय पर मुलाकात के लिए कई बार अनुरोध किया. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि केजरीवाल एनसीसीएसए बिल पर चर्चा करना चाहते थे और AAP और कांग्रेस के बीच मतभेदों को सुलझाना चाहते थे. लेकिन अभी भी कांग्रेस की ओर से हरी झंडी का इंतजार है.

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शुक्रवार को पटना में विपक्षी दलों की संयुक्त प्रेस वार्ता में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान शामिल नहीं हुए थे. विपक्ष की मेगा मीटिंग के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

इंडिया टुडे को उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पटना में विपक्ष की मेगा बैठक के दौरान अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के साथ अलग से चाय पर मुलाकात के लिए कई बार अनुरोध किया. हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक इन अनुरोधों का जवाब नहीं दिया है.

बैठक के घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने बैठक में दो स्पष्ट मांगें रखीं. पहला कांग्रेस को दिल्ली के अध्यादेश पर अपना रुख सार्वजनिक करना चाहिए. दूसरा कांग्रेस को संसद में एनसीसीएसए का विरोध करना चाहिए.

आप सूत्रों ने दावा किया कि कांग्रेस ने कहा था कि विपक्ष के संयुक्त बयान में दिल्ली अध्यादेश मुद्दे का जिक्र नहीं होना चाहिए. संभवत इन परिस्थितियों के कारण केजरीवाल और मान विपक्षी नेताओं की संयुक्त प्रेस वार्ता में शामिल नहीं हुए.

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आप के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी में ऐसे मुद्दों (अध्यादेश के समर्थन या विरोध) पर निर्णय लेने की एक प्रक्रिया है. और वे उस प्रक्रिया का पालन करेंगे.

सूत्र ने आगे बताया कि अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी से चाय पर मुलाकात के लिए कई अनुरोध किए. केजरीवाल ने कहा कि इस व्यक्तिगत बैठक में मतभेदों को सुलझाया जा सकता है. हमने भी अपनी मांग कम कर दी और इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को कम से कम दिल्ली अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए.

हालाँकि, आप प्रमुख और पार्टी नेतृत्व उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब उन्हें राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ एक अलग चाय बैठक के अनुरोध पर भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला.

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