मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में 170 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस हिंसा में कुकी-जोमी आदिवासी समुदाय से आने वाले बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर भी मई में भीड़ ने हमला कर दिया था. इस हमले में भीड़ ने उन्हें सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया था. अब विधायक वाल्टे ने खुलकर हालातों पर बात की. बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे ने इंडिया टुडे ग्रुप के कंलस्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से आपबीती बयां की.
मणिपुर सीएम एन बिरने सिंह के करीबी कहे जाने वाले विधायक वाल्टे ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से मिलना चाहते हैं और अपनी दुर्दशा बताना चाहते हैं. अपने ऊपर हुई यातना के बावजूद वाल्टे ने आशा व्यक्त की कि मैतेई और कुकी एक दिन एक साथ आएंगे.
दरअसल, मई में इंफाल के मध्य में भीड़ ने बीजेपी विधायक वाल्टे के साथ मारपीट की थी. वाल्टे पर भीड़ ने उस समय हमला किया था जब वह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ बैठक के बाद राज्य सचिवालय से लौट रहे थे. फेरजावल जिले के थानलॉन से तीन बार के विधायक वाल्टे हमले के समय इंफाल स्थित अपने सरकारी आवास पर जा रहे थे.
विधायक ने मणिपुर से परिवार को भी दिल्ली बुलाया
हमले के बाद वाल्टे को दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वे दिल्ली में ही रुक गए. उन्होंने यहीं पर अपने परिवार को भी बुला लिया है. वाल्टे ने बताया कि अब मेरी सेहत में सुधार हो रहा है. हालातों को देखते हुए मैं अपने परिवार के लोगों को मणिपुर से दिल्ली लेकर आया हूं. हम यहीं पर क्रिसमस मनाएंगे. मुझे उम्मीद है मैं जल्द ठीक होकर अपने लोगों से मिलूंगा और उन्हें बताऊंगा मेरे साथ क्या-क्या हुआ है.
इस दौरान वाल्टे भावुक होकर रोते हुए बोले, "सरदेसाई, तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम मेरे पास आओगे, तुम भगवान के बाद हो." दरअसल, इंडिया टुडे ने ही वाल्टे के साथ हुई मारपीट के बारे में पांच महीने पहले विस्तार से देश को बताया था. तब वाल्टे ने सरदेसाई से कहा था कि जब वह वापस इंफाल जाएंगे तो उन्हें अपने साथ जरूर लेकर जाएंगे.
'हालातों में सुधार हो रहा है'
चूराचांदपुर में कार सर्विस सेंटर चलाने वाले विधायक वाल्टे के छोटे बेटे डेविड ने बताया कि पिछले 6 महीनों में हालात बदतर रहे हैं. पैसे की किल्लत हुई, न कोई सामान उपलब्ध हो पाया स्थिति की वजह से. लमका में रहने वाले लोग फाइनेंशियल प्रॉब्लम से जूझ रहे रहे हैं. हालांकि अब चीजें बेहतर हो रही हैं. मेरे बहुत से मैतेई दोस्त हैं इंफाल में, लेकिन अगर हम चूराचांदपुर से इंफाल गए तो नहीं लगता कि हम जिंदा लौट पाएंगे. हम आइसोल के जरिए दिल्ली आए हैं. हमें यहां आने में तीन से चार दिन लग गए. पूरे परिवार के साथ हम दिल्ली आ चुके हैं. अब चीजें बेहतर हो रही है मणिपुर में.
'कुकी क्षेत्रों के लिए अलग प्रशासन हो'
वाल्टे ने कहा कि कई राजनीतिक लोग मुझसे मिलने आए. मैंने उन्हें स्थिति के बारे में बताया. मुझे उम्मीद है कि एक दिन कुकी और मैतेई जरूर साथ आएंगे. मुझे लगता है कि कुकी क्षेत्रों के लिए अलग से प्रशासन होना चाहिए. वहां पहले भी इसी तरह की चीजें थीं.