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चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर ऑपरेशन का अनुभव, डिफेंस में एम फिल और मिलिट्री साइंस में मास्टर डिग्री, जानिए कौन हैं नए सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी?

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले थल सेनाध्यक्ष होंगे. वे मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की जगह लेंगे. सरकार ने मंगलवार रात द्विवेदी के नाम की घोषणा की है. लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के पास चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर अभियानों का व्यापक अनुभव है. वर्तमान में वे थल सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं. जनरल पांडे 30 जून को रिटायर होंगे.

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लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी नए सेनाध्यक्ष होंगे.
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी नए सेनाध्यक्ष होंगे.

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी नए सेना प्रमुख होंगे. वे मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की जगह लेंगे. पांडे एक महीने के सेवा विस्तार के बाद 30 जून को रिटायर होने जा रहे हैं. नए सेना प्रमुख द्विवेदी को चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर ऑपरेशन एक्सपीरियंस के लिए जाना जाता है. वे डिफेंस पर मास्टर ऑफ फिलॉसफी (M Phil) और स्ट्रैटजिक और मिलिटरी साइंस में दो मास्टर डिग्री होल्डर हैं.  लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने फरवरी 2024 में उप सेनाध्यक्ष का पद संभाला था.

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लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को 18 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में कमीशन मिला था. बाद में उन्होंने यूनिट की कमान संभाली. 1 जुलाई, 1964 को जन्मे द्विवेदी ने सैनिक स्कूल रीवा (मध्य प्रदेश) में पढ़ाई की है. वे नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं. उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू में भी पढ़ाई पूरी की है. उनके पास डिफेंस और मैनेजमेंट स्टडी में एम फिल और स्ट्रैटजिक स्टडी और मिलिट्री साइंस में दो मास्टर डिग्री हैं.

चीन-पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर अभियान का व्यापक अनुभव

 लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने 19 फरवरी को सेना के उप प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया था. इससे पहले उन्होंने 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंटी और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) समेत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है. उन्हें चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर अभियानों का भी व्यापक अनुभव है.

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जानिए सरकार ने क्या कहा है...

रक्षा मंत्रालय ने कहा, सरकार ने वर्तमान में सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 30 जून की दोपहर से अगले थल सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है. इससे पहले सरकार ने पिछले महीने जनरल पांडे का कार्यकाल 31 मई को उनकी सेवानिवृत्ति से 6 दिन पहले एक महीने के लिए बढ़ा दिया था. इस कदम से नए अध्यक्ष के नाम को लेकर अटकलें भी तेज हो गई थीं.

यह भी पढ़ें: Army Chief: लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी बने सेना के नए प्रमुख, जनरल मनोज पांडे की जगह लेंगे

लेफ्टिनेंट द्विवेदी का 30 जून को होना था रिटायरमेंट

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बाद सबसे वरिष्ठ अधिकारी दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह हैं. लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह दोनों 30 जून को रिटायर होने वाले थे. हालांकि, नए सेनाध्यक्ष बनने से जनरल द्विवेदी का कार्यकाल 2 साल बढ़ जाएगा. दरअसल, तीनों सेना प्रमुख 62 साल की आयु या तीन साल तक पद पर रह सकते हैं. इनमें जो भी पहले पूरा हो. लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष है. हालांकि, इससे पहले 4 स्टार रैंक के लिए मंजूरी मिलने पर वो 62 साल की उम्र तक सेवा दे सकते हैं. द्विवेदी की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल रखा गया है. 

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करीब 40 साल की सेवा का अनुभव

लगभग 40 वर्षों की अपनी लंबी सेवा के दौरान उन्होंने विभिन्न कमांड, स्टाफ, इंस्ट्रक्शनल और विदेशी नियुक्तियों में कार्य किया है. लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), इंस्पेक्टर जनरल, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल है.

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लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर उन्होंने महानिदेशक इन्फैंट्री समेत महत्वपूर्ण पदों को संभाला है. उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और तीन GOC-in-C  प्रशस्ति कार्ड से अलंकृत किया गया है.

उत्तरी सेना के कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में गतिशील आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन के अलावा उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर निरंतर अभियानों की योजना और कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन किया है. इस अवधि के दौरान वे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में सक्रिय रूप से शामिल रहे.

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी का भारतीय सेना की सबसे बड़ी सेना कमान के आधुनिकीकरण और उसे सुसज्जित करने में भी योगदान है. उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को ध्यान में रखकर स्वदेशी उपकरणों को शामिल करने की पहल की.

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