असम-मेघालय सीमा पर तनाव देखा जा रहा है. गुरुवार को दोनों राज्यों के नागरिक अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्र पर जमा हो गए. भारी तनाव के बीच भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान, मेघालय का पुलिस उपाधीक्षक रैंक का एक अधिकारी घायल हो गया. असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के उमलाफेर इलाके में, मंगलवार को तनाव की स्थिति देखी गई. आरोप लगाया गया कि असम पुलिस के एक अधिकारी ने मेघालय के दो लोगों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया. इसके बाद री-भोई जिले में करीब 300 लोग जमा हो गए. वहां जब उनका रास्ता रोका गया, तब विवाद शुरू गया.
असम-मेघालय सीमा विवाद का इतिहास काफी पुराना है. विवाद की शुरूआत 1972 में ही हो गई थी, जब असम के एक हिस्से को अलग करके मेघालय बनाया गया था. नए राज्य के सीमांकन के दौरान दर्ज की गई रीडिंग को इस विवाद की बड़ी वजह माना जाता है.
विवादों में क्यों है असम-मेघालय सीमा?
असम और मेघालय 885 किलोमीटर लंबी सीमा को साझा करते हैं. फिलहाल, इस सीमा पर 12 इलाकों को लेकर विवाद है. असम-मेघालय सीमा के जिन इलाकों पर विवाद हैं, वे हैं- ऊपरी ताराबाड़ी, गज़ांग रिज़र्व फ़ॉरेस्ट, हाहिम, लंगपिह, बोरडवार, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रातचेरा.
मेघालय को असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 के तहत असम से अलग कर दिया गया था. इस कानून को मेघालय ने चुनौती दी, जिससे विवाद की शुरूआत हुई.
असम और मेघालय के बीच विवाद का एक मुख्य बिंदू है लंगपीह जिला, जो असम के कामरूप जिले की सीमा से लगे पश्चिम गारो हिल्स में स्थित है. अंग्रेज़ों के शासन के दौरान, लंगपीह कामरूप जिले का हिस्सा था. आजादी के बाद, यह गारो हिल्स और मेघालय का हिस्सा बन गया.
असम इसे अपनी मिकिर पहाड़ियों का हिस्सा मानता है. मेघालय ने मिकिर हिल्स के ब्लॉक I और II पर सवाल उठाया है. इसे अब कार्बी आंगलोंग क्षेत्र कहा जाता है, जो असम का हिस्सा है. मेघालय का कहना है कि ये उस वक्त यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिलों के हिस्से थे.
ये सीमा विवाद नया नहीं है
मेघालय के बनने के बाद ही ये विवाद शुरू हो गया था. असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के 12 साल के कार्यकाल के दौरान, सीमा विवाद खास मामलों में से एक था.
दरअसल, असम सरकार का एक गेस्ट हाउस जिसे तरुण गोगोई आधिकारिक निवास के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे, वह भी विवादों में आ गया था. यह गेस्ट हाउस खानापारा-पिलंगकाटा ब्लॉक में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. मेघालय इस इलाके को अपना बताता रहा है.
यह सरकारी गेस्ट हाउस, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में हिस्सा लेने गुवाहाटी आए एक वीआईपी के लिए 1976 में बनवाया गया था. मेघालय ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि मौजूदा रिकॉर्ड इस जमीन पर उसके दावे को साबित करें.
सीमा विवाद पर अब तक क्या हुआ?
असम और मेघालय, दोनों ही राज्यों में सीमा विवाद के निपटारे के लिए कमेटियां बनाई गई हैं. दोनों राज्यों में चल रहे सीमा विवाद को चरणबद्ध तरीके से हल करने के लिए हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा कोनराड ने दो कमेटियां बनाई हैं.
पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि सीमा विवाद को हल करने के दौरान इलाके के ऐतिहासिक पहलुओं, वहां रहने वाली जातियों, इलाके की प्रशासनिक व्यवस्था, लोगों की भावनाएं और ज़मीन से उनके जुड़ाव का ध्यान रखना होगा.
और पढ़ें- अब असम और मेघालय की पुलिस आमने-सामने, हुई तीखी बहस, दोनों राज्यों में ऐसे शुरू हुआ विवाद
पहले चरण में जिन 6 इलाकों के सीमा विवाद को हल करने की कोशिश की जा रही है वे हैं ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बकलापारा, खानापारा-पिलिंकाटा और रातचेरा. असम में ये इलाके कछार, कामरूप मेट्रोपॉलिटन और कामरूप ग्रामीण में हैं, तो मेघालय में पश्चिम खासी हिल्स, री-भोई ज़िला और पूर्वी जयंतिया हिल्स के इलाकों को सबसे पहले सुलझाने के लिए चुना गया है.
असम और सीमा विवाद
उत्तर पूर्व के अधिकांश राज्य, बनने से पहले असम का हिस्सा थे. यही वजह है कि उत्तर पूर्व के कई राज्यों के साथ असम का सीमा को लेकर विवाद चल रहा है. अरूणाचल प्रदेश और नगालैंड के साथ असम के सीमा विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, जबकि मेघालय और मिज़ोरम के साथ असम के सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिशें की जा रही हैं. मिज़ोरम के साथ चल रहे विवाद में तो हिंसा के बाद केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ा था.
असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जुलाई और अगस्त में अलग-अलग बातचीत की है. पहले असम की राजधानी शिलांग हुआ करती थी, जो कि वर्तमान में मेघालय की राजधानी है. 1972 में, मेघालय के बनने के बाद असम की राजधानी दिसपुर हो गई थी.