वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से भी जोड़ा जाएगा. महाराष्ट्र में 1 अगस्त से इसको लेकर कैंपेन चलाया जाएगा. महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव आयुक्त श्रीकांत देशपांडे ने बताया कि वोटरों की पहचान करने और वोटर लिस्ट में डुप्लीकेसी रोकने के मकसद से वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जा रहा है.
2015 में चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. इसके बाद 2019 में चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार के लिए सिफारिश की थी.
चुनाव आयोग में सुधार के लिए मोदी सरकार चुनाव कानून में संशोधन के लिए बिल लेकर आई थी. ये बिल संसद से पास हो चुका है और अब कानून बन चुका है. कानून बनने के बाद वोटर आईडी और आधार कार्ड के लिंक करने का रास्ता साफ हो चुका है. हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को निरस्त करने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा है.
चुनाव कानून में तीन बड़े सुधार
- पहलाः अब वोटर लिस्ट में साल में 4 बार नाम दर्ज करवा सकते हैं. पहले 1 जनवरी कट ऑफ डेट हुआ करती थी. अगर 2 जनवरी को कोई 18 साल का पूरा हो रहा है तो उसे वोटर लिस्ट में नाम लिखवाने के लिए सालभर इंतजार करना होता था. लेकिन अब चार बार 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को नाम रजिस्टर करवा सकेंगे.
- दूसराः इस कानून को 'जेंडर न्यूट्रल' बनाया गया है. इससे महिला कर्मचारियों के पति भी सर्विस वोटर में शामिल हो सकेंगे. अभी तक ऐसा नहीं था. मसलन, पुरुष फौजी की पत्नी सर्विस वोटर के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकती थी, लेकिन महिला फौजी के पति ऐसा नहीं कर सकते थे. इसके लिए अब 'पत्नी' शब्द की जगह पर 'पति या पत्नी' लिखा जाएगा.
- तीसराः इससे वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने का रास्ता साफ हो गया है. इससे चुनावों में धांधली रोकने में मदद मिलेगी. कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं, जिसमें एक ही व्यक्ति कई बार वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लेता था, जिससे चुनावों में धांधली होती थी. लेकिन आधार कार्ड एक ही है, इसलिए कोई भी व्यक्ति एक ही बार अपना नाम दर्ज करवा सकेगा.
इससे फायदा क्या होगा?
वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने के दो बड़े फायदे होंगे. पहला तो ये कि एक व्यक्ति एक ही बार अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज करवा सकेगा. इससे डुप्लीकेसी रुकेगी. दूसरा ये कि फर्जी वोटर आईडी बनाने पर लगाम लगाई जा सकेगी.
अगर आधार नहीं है तो फिर?
इस कानून में लिखा है कि वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करवाना जरूरी है. लेकिन इसमें ये भी साफ किया गया है कि अगर किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे इलेक्टोरल रोल में शामिल करने से नहीं रोका जा सकता. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कोई दूसरे दस्तावेज जमा कराने होंगे.
इसका बिल संसद में पेश करते समय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने भी साफ किया था कि आधार को लिंक कराना वैकल्पिक होगा. अगर कोई व्यक्ति चाहेगा, तभी उसका वोटर आईडी आधार से लिंक किया जाएगा.
इस मसले पर विपक्ष की आपत्तियां, सरकार के जवाब?
- विपक्ष की आपत्तियांः सबसे ज्यादा आपत्ति आधार कार्ड और वोटर आईडी को साथ जोड़ने पर है. विपक्ष का आरोप है कि इससे प्राइवेसी का हनन है और डेटा भी चोरी हो सकता है. रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि इससे वोटर प्रोफाइलिंग होगी.
- सरकार का जवाबः इस बिल को संसद में पेश करते समय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने कहा था कि इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और डुप्लीकेसी रोकी जा सकेगी. उन्होंने बताया था कि आधार और वोटर आईडी को लिंक करने से अगर इलेक्टोरल रोल में किसी व्यक्ति का नाम एक से ज्यादा बार है तो अपने आप ही वो हट जाएगा.