संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद को लेकर भारत जमकर गरजा. UNSC की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के पनाहगारों को सीधा और तीखा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि आज की ब्रीफिंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने आतंकवाद विरोधी एजेंडे को फिर से जीवंत करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का एक हिस्सा है. आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है. हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि कहीं न कहीं हम यह नहीं भूल सकते कि पुरानी आदतें और स्थापित नेटवर्क आज भी जीवित हैं. खासकर दक्षिण एशिया में. आतंकवाद का समकालीन उपकेंद्र बहुत अधिक जीवित और सक्रिय रहता है. चाहे इन्हें कम करने के लिए कुछ भी कर लिया जाए. यह जो कहा जाता है कि जो राज्य स्पष्ट रूप से हर चीज में सक्षम हैं, लेकिन जब आतंकवाद की बात आती है तो वे केवल असहाय होते हैं, ये हास्यास्पद है. आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि मैं मुंबई 26/11 आतंकी हमले की बहादुर पीड़िता नर्स अंजलि कुलथे को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हमारे साथ आतंकवाद के चलते चुकाई कीमतों पर यादें साझा की हैं. उनकी गवाही आज परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि 26/11 के मुंबई हमलों सहित कई आतंकवादी घटनाओं के पीड़ितों को न्याय मिलना बाकी है. हम फिर से "न्यूयॉर्क का 9/11" या "मुंबई का 26/11" नहीं होने दे सकते.
बता दें कि इससे पहले एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाने को लेकर पाकिस्तान को आईना दिखाया. उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि जिसे पूरी दुनिया अस्वीकार्य मानती है, उसे वाजिब ठहराने का सवाल ही नहीं उठता. यह सीमापार आतंकवाद पर भी लागू होता है. ओपन डिबेट में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पनाह देने और अपने पड़ोसी देश की संसद पर हमला करने वाले इस मंच पर उपदेश नहीं दे सकते.