ट्रेन से यात्रा के दौरान असुविधा होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने रेलवे से स्पष्टीकरण मांगा तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दखल देते हुए आपत्ति जताई है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के रेलवे अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने पर आपत्ति जताई है. इसके बाद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सभी 25 हाईकोर्ट के चीफ जस्टसेज को चिट्ठी लिखी.
अपनी चिट्ठी में सीजेआई ने लिखा कि हाईकोर्ट के एक अधिकारी ने रेलवे महाप्रबंधक को पत्र लिखा. रेलवे जीएम को संबोधित पत्र ने न्यायपालिका के भीतर और बाहर दोनों जगह उचित बेचैनी पैदा कर दी है. सीजेआई ने जजों को नसीहत देते हुए लिखा है कि जजों को मिलने वाली 'प्रोटोकॉल सुविधाएं' उनके विशेषाधिकार का पैमाना नहीं हैं. विशेषाधिकार के दावे पर जोर देने के लिए उनके इस्तेमाल की जरूरत नहीं होनी चाहिए जो उन्हें समाज से अलग करती हों.
उन्होंने आगे लिखा, "न्यायिक अधिकार का विवेकपूर्ण प्रयोग या उपभोग बेंच के अंदर और बाहर दोनों जगह इसका ध्यान रखना चाहिए. यही वह चीज़ है जो न्यायपालिका की विश्वसनीयता और वैधता और समाज को उसके न्यायाधीशों पर विश्वास बनाए रखती है."
क्या है पूरा मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने ट्रेन में 'असुविधा' होने पर भारतीय रेलवे के अफसरों पर नाराजगी जताई है और उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया गया है और दोषी अफसरों से स्पष्टीकरण मांगे जाने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने पत्र में बताया कि जस्टिस गौतम चौधरी नई दिल्ली से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए यात्रा कर रहे थे. मामला 8 जुलाई का है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल आशीष कुमार श्रीवास्तव ने 14 जुलाई को एक पत्र जारी किया है. इसमें कहा गया है कि पुरुषोत्तम एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 12802) के एसी-1 कोच में नई दिल्ली से जस्टिस चौधरी अपनी पत्नी के साथ प्रयागराज आ रहे थे.