
देश में दिल्ली समेत कई जगहों पर किसान आंदोलन चल रहा है. वहीं सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करने की तैयारी कर रही है. इस बीच किसानों और बजट से जुड़ी अखबार की एक कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. वायरल कटिंग में दावा किया जा रहा है कि “अगर खेत बटाई पर दिया तो 18 फीसदी GST लगेगा.”
व्हाट्सऐप पर वायरल हो रही इस अखबार की कटिंग में दावा किया गया है कि सरकार ने खेत को बटाई या ठेके पर देने को कारोबार मान लिया है और इसे 18 प्रतिशत की GST स्लैब में शामिल कर लिया गया है.
फेसबुक पेज आप कार्यकारिणी महोबा जैसे कई यूज़र्स ने वायरल कटिंग शेयर कर लिखा है-
खेत बटाई पर दिया तो 18 फीसदी जीएसटी
आप कार्यकारिणी महोबा द्वारा इस दिन पोस्ट की गई शनिवार, 26 दिसंबर 2020
इसके अलावा ट्विटर पर भी यही दावा किया जा रहा है.
खेत बटाई पर दिया तो 18 फीसदी जीएसटी pic.twitter.com/xSa5MczjDQ
— LALIT THAKUR (@LALITTH37161155) December 20, 2020
पड़ताल
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘दी लल्लनटॉप’ ने वायरल दावे की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में अखबार की कटिंग दिखाकर बटाई या ठेके पर दी गई जमीन पर 18 प्रतिशत GST लगने का दावा भ्रामक निकला. केंद्र सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है. और वायरल हो रही इस जानकारी पर वित्त मंत्रालय ने 2018 में भी स्पष्टीकरण दिया था.
“खेत बटाई पर GST” से जुड़े कुछ शब्द इंटरनेट पर सर्च किए तो हमें इसकी सच्चाई पता चल गई. हमें इंटरनेट पर सरकारी सूचनाओं की नोडल एजेंसी प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो ( PIB) की 28 मई 2018 को जारी एक प्रेस रिलीज़ मिली. प्रेस रिलीज़ में वित्त मंत्रालय ने उस वक्त मीडिया में चल रही ऐसी खबरों का खंडन किया था. प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़-
“जुलाई, 2017 में GST (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने के बाद से लेकर अब तक किसानों से संबंधित GST कानून और कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है. कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन अथवा पशुपालन से संबंधित सहायक सेवाओं को GST से मुक्त रखा गया है. इस तरह की छूट प्राप्त सहायक सेवाओं में रिक्त पड़ी भूमि को इसके उपयोग के लिए संलग्न संरचना के साथ अथवा इसके बगैर ही किराये या पट्टे पर देना भी शामिल है. अत: बटाई (पैदावार में हिस्सेदारी) या किसी अन्य व्यवस्था के आधार पर कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन अथवा पशुपालन के लिए किसानों द्वारा अपनी भूमि को किराये अथवा पट्टे पर देना भी GST से मुक्त है. इसके अलावा, कृषकों को भी GST पंजीकरण कराने से मुक्त कर दिया गया है.”
इंडिया टुडे पर 28 मई 2018 को पब्लिश ख़बर में वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई यही जानकारी प्रकाशित है. PTI के हवाले से छपी ख़बर में लिखा है-
“वित्त मंत्रालय ने ये स्पष्ट किया है कि खेती, पशु पालन या मछली पालन के लिए खेत लीज या रेंट पर देने पर कोई GST नहीं लगेगा. मंत्रालय ने ये भी कहा कि जुलाई 2017 में GST लागू होने के बाद से किसानों के लिए इसमें कोई बदलाब नहीं किया गया है.”
हमने वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग संपर्क किया. विभाग के अधिकृत अधिकारियों ने ( नाम ना छापने के आग्रह पर) हमें बताया कि सरकार ने खेती की ज़मीन पर GST लगाने का कोई भी फैसला हाल-फिलहाल में नहीं लिया है.
ये दावा पहली बार वायरल नहीं हुआ है. 2018 में भी वायरल हो चुके हैं. (आर्काइव लिंक) (आर्काइव लिंक)
नतीजा
कुल मिलाकर साफ़ है, बजट सत्र के नज़दीक आते ही GST से जुड़ा ये भ्रामक दावा फिर वायरल होने लगा है. हमारी पड़ताल में खेत बटाई या ठेके पर देने पर 18 फ़ीसदी GST लगने का दावा भ्रामक निकला. जिस अख़बार की कटिंग शेयर कर ये दावा किया जा रहा है, वो साल 2018 की है. केंद्र सरकार 28 मई 2018 को ऐसे दावों का खंडन कर चुकी है. राजस्व विभाग ने भी बताया है कि खेती की ज़मीन पर GST लगाने का कोई फैसला सरकार ने हाल फिलहाल में नहीं लिया है.