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मणिपुर: ड्रोन अटैक मामले में सामने आई सुरक्षा एजेंसियों की नाकामयाबी, इनपुट के बाद भी नहीं हुआ एक्शन

मणिपुर ड्रोन अटैक मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को ड्रोन से बचाव के उपाय करने के निर्देश दिए गए थे. मणिपुर सरकार को ड्रोन के जरिए एरियल बोम्बिंग का अंदेशा था, जिसके बारे में पुलिस और प्रशासन को आगाह किया गया था. ड्रोन अटैक की संभावनाओं का इनपुट मिलने के बावजूद भी मणिपुर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कोई एक्शन नहीं लिया.

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Police at a hospital after suspected Kuki militants attacked Koutruk villagers in Imphal. (Image: PTI)
Police at a hospital after suspected Kuki militants attacked Koutruk villagers in Imphal. (Image: PTI)

मणिपुर में ड्रोन और आरपीजी हमले में सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी नाकामयाबी सामने आई है. जानकारी के अनुसार पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को ड्रोन अटैक के संभावनाओं का इनपुट मिला था, लेकिन उसके बावजूद एक्शन नहीं लिया. 

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इंडिया टुडे के हाथ लगी गोपनीय चीटियों के मुताबिक, मणिपुर सरकार को ड्रोन के जरिए एरियल बोम्बिंग का अंदेशा था, जिसके बारे में पुलिस और प्रशासन को आगाह किया गया था. ड्रोन अटैक की संभावनाओं का इनपुट मिलने के बावजूद भी मणिपुर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कोई एक्शन नहीं लिया.

CMO ने दिए थे बचाव के निर्देश'

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को ड्रोन से बचाव के उपाय करने के निर्देश दिए गए थे. इसी साल 12 जनवरी को डीजीपी और मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश जारी किए गए थे, जिसमें आईआरबी बटालियन को इंफाल से असम के रास्ते में मुहैया कराए जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था में एरियल बोम्बिंग और ड्रोन अटैक से बचने की तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे.

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बता दें कि 1 सितंबर और 2 सितंबर को पश्चिमी इंफाल के गांव में ड्रोन के जरिए एरियल बोम्बिंग की गई थी. पुलिस के मुताबिक, इस हिंसा के पीछे कुकी आतंकी हैं जो पहाड़ी इलाकों से छुपाकर ड्रोन आरपीजी और दूसरे सोफिस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आप सिर्फ कुकी संगठनों पर नहीं है बल्कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी आदिवासी और उनके संगठनों का आरोप है कि मणिपुर पुलिस घाटी में रहने वाले मैतेई हथियारबंध संगठन आरंबाई टैंगोल के साथ मिलकर पहाड़ी इलाकों पर हमले कर रही है.

इससे पहले दोनों समुदाय के लोग हिंसा के बीच ड्रोन का इस्तेमाल एक-दूसरे के इलाके की रेकी करने. एक-दूसरे के हथियारबंद लोगों पर नजर रखने और ठिकानों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल करते थे. बीते दिनों हिंसा के दौरान ड्रोन के जरिए रिहायशी इलाकों में बम गिराए गए थे.

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