ओडिया भाषा के प्रसिद्ध कवि और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रमाकांत रथ का रविवार को उनके खारवेल नगर स्थित आवास पर निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे. उनके परिवार में तीन बेटियां और एक बेटा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया.
राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि रमाकांत रथ भारतीय साहित्य जगत के प्रमुख हस्तियों में से एक थे और उन्होंने ओडिया साहित्य को समृद्ध किया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं समाज के सभी वर्गों में लोकप्रिय थीं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि रमाकांत रथ का योगदान प्रशासन और साहित्य दोनों क्षेत्रों में अविस्मरणीय रहेगा. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि रथ के अंतिम संस्कार को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. रथ का अंतिम संस्कार सोमवार को पुरी के स्वर्गद्वार में किया जाएगा, जब उनका बेटा विदेश से लौट आएगा.
रमाकांत रथ का जीवन परिचय
रमाकांत रथ का जन्म 13 दिसंबर 1934 को कटक में हुआ था. उन्होंने रवेंसॉ कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए करने के बाद 1957 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) जॉइन की. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और 1992 में ओडिशा के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए.
महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान
रमाकांत रथ को ओडिया साहित्य में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उनकी प्रमुख काव्य संग्रहों में ‘केते दिनारा’ (1962), ‘अनेका कोठारी’ (1967), ‘संदिग्ध मृगया’ (1971), ‘सप्तम ऋतु’ (1977), ‘श्री राधा’ (1985) आदि शामिल हैं. उनकी कविताओं का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है.
प्रमुख पुरस्कार और सम्मान
1977 – साहित्य अकादमी पुरस्कार
1984 – सरला पुरस्कार
1990 – बिषुव सम्मान
2006 – पद्म भूषण से सम्मानित
2009 – साहित्य अकादमी फैलोशिप
रमाकांत रथ 1993 से 1998 तक साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष और 1998 से 2003 तक इसके अध्यक्ष भी रहे. उनके निधन से ओडिया साहित्य जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है.