अवैध निर्माण और पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने सख्त रवैया अपनाया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले में साफ किया कि वन विभाग की जमीन पर बने सभी अवैध निर्माण तय समय 23 अगस्त तक हटाए जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जंगल की जमीन से किसी प्रकार से समझौता नहीं किया जा सकता. सुनवाई के दौरान फरीदाबाद नगर निगम ने कोर्ट से कहा कि पुनर्वास प्रक्रिया को लेकर विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे.
कोर्ट ने कहा कि जंगल की जमीन पर अवैध निर्माण हटाने के दौरान निगम वीडियोग्राफी भी करे. कोर्ट ने निगम से ये भी कहा कि खोरी गांव के नजदीक ही एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाए, जिससे गांव के लोग अपनी आपत्ति दर्ज करा सके.
शुक्रवार तक की मोहलत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग पुनर्वास योजना के तहत हकदार होंगे. उनका पुनर्वास किया जाएगा, जो हकदार नहीं हैं उनका पुनर्वास कैसे होगा, उन्होंने जमीन पर कब्जा किया हुआ है.
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वन विभाग के जमीन पर राधास्वामी सत्संग को लेकर भी कहा गया कि ये वन विभाग की जमीन पर है. कोर्ट ने कहा कि अगर ये भी अवैध है तो इसको भी हटाया जाए.
कुछ लोगों ने कहा कि हम यहां शादी के लिए पंडाल लगवाते हैं, हमारी अपनी जमीन है. कोर्ट ने कहा कि अगर आप की अपनी जमीन है तो आप क्यों चिंता करते हो. कोर्ट ने निगम को कहा कि शुक्रवार तक ये बताएं कि ये जमीन इनकी है या वन विभाग की. शुक्रवार तक निगम इन पर कार्रवाई न करें.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम से कहा है कि 23 अगस्त तक पुनर्वास नीति के ड्राफ्ट को पूरा कर लिया जाए.