Parliament winter session 2021: संसद के दोनों सदनों लोक सभा (Lok Sabha)और राज्य सभा (Rajya sabha) से सोमवार को पहले दिन तीनों कृषि कानून (3 Farm Law repeal) वापस ले लिए गए हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi), अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal), योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav), राकेश टिकैत (Rakesh Tikait), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) समेत कई राजनेताओं की प्रतिक्रिया भी आई. तीनों कानून वापस लिए जाने के बाद सबसे इस बात पर भी जमकर हंगामा हुआ कि सरकार ने आखिर कानून वापसी पर चर्चा क्यों नहीं की.
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कानून वापसी पर कहा, तीनों कृषि कानून वापस हुए हैं. ऐसा पहला कभी नही हुआ, सबका धन्यवाद, प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि एमएसपी पर कमेटी बनाएंगे. 1 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे की रणनीति के लिए फिर बैठक बुलाई है. याद रखना चाहिए कि लोग बड़े होते हैं, हुकूमत नही...वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर मांग की कि एमएएपी को कानूनी मान्यता मिले.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ' ये बिल बीमारी थे, अच्छा हुआ ये हटा दिए गये. अब राष्ट्रपति इन पर अपनी मुहर और लगा दें'. इसके बाद इस बात पर चर्चा करनी है कि जिन 750 किसानों की मौत हुई, न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों पर जो केस दर्ज हुए हैं. उस पर क्या करना है.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, भारतीय जनता पार्टी केवल वोट की राजनीति करती है. सरकार किसान 2 कृषि कानून वापसी पर पर चर्चा क्यों नहीं करती है. सरकार बताए कि किसानों को कैसे फायदा हो रहा था और अब कैसे नुकसान हो रहा है. अखिलेश बोले उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब में भाजपा को नुकसान हो रहा था. अभी भी उसका सफाया होगा. अखिलेश यादव ने एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी ने हर बार खेती-किसानी को निशाना बनाया.
आंदोलन का आगे आने वाला स्वरुप कैसा होगा ?
योगेंद्र यादव ने कहा 4 दिसंबर तक आंदोलन रहेगा आंदोलन, जब तक सरकार हमारी सारी मांगे नहीं मान लेती तब तक आंदोलन वैसे ही चलता रहेगा. 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है जिसमें आगे आंदोलन को खत्म करना है या जारी रखना है उस पर चर्चा की जाएगी. हम चाहते हैं कि जो किसानों पर केस रजिस्टर्ड गए हैं, वह वापस लिए जाएं. योगेंद्र यादव बोले, कृषि क़ानून ‘लाते’ समय किसानों से मंत्रणा नहीं की तो कम से कम ‘लौटाते’ समय तो कर लेते, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की लाज रह जाती.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मौके पर ट्वीट किया, उन्होंने लिखा, ' भारतीय लोकतंत्रीय और भारतीय संसद के लिए शानदार दिन', तीनों काले कानून वापस ले लिए गए हैं. सभी किसानों और भारतीयों को बधाई.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला, अपने ट्वीट में लिखा- चर्चा नहीं होने दी-MSP पर, शहीद अन्नदाता के लिए न्याय पर, लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर, जो छीने संसद से चर्चा का अधिकार,
फ़ेल है, डरपोक है वो सरकार.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी तीन ट्वीट किए, अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, ' देश में किसानों के एक वर्ष के तीव्र आन्दोलन के फलस्वरूप तीन अति-विवादित कृषि कानूनों की आज संसद के दोनों सदनों में वापसी किसानों को थोड़ी राहत के साथ ही यह देश के लोकतंत्र की वास्तविक जीत है'
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी अपने ट्वीट मे केंद्र सरकार पर हमला बोला, उन्होंने लिखा ' कांग्रेस सदन में चर्चा चाहती हैं,वो पाप पर पर्दा चाहते हैं. हंगामा नहीं ये हक की आवाज़ है,किसान विरोधी षड्यंत्र को उजागर करने का हक़,फसल के उचित दाम व MSP का हक़,700 किसानों की क़ुर्बानी का जबाब माँगने का हक़, 35,000 किसानों पर फर्जी केस के विरोध का हक़, न्याय का हक़.
कृषि मंत्री तोमर बोले, भलाई के लिए आया था कानून
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कृषि कानून भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए लेकर आई थी और बड़ी संवेदनशीलता के साथ किसान संगठनों से बातचीत भी की थी. लेकिन दुख है इस बात का कि हम उनको उनके लाभ समझा नहीं पाए .प्रधानमंत्री ने देश को ध्यान में रखते हुए जैसा कि हमने कहा था संसद के पहले दिन ही तीनों कानूनों को वापस ले लिया. यह प्रधानमंत्री की कथनी करनी में एकरूपता को दिखाता है. विपक्ष की चर्चा की मांग पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जब कृषि बिल आए थे तब व्यापक तौर पर चर्चा हुई थी. विपक्ष भी लगातार मांग कर रहा था बिल को वापस करना चाहिए और आज सर्वसम्मति से इन बिलों को वापस ले लिया गया है. सदन में शांति होती तो इस पर चर्चा करते. बार-बार आसन की तरफ से भी विपक्ष को कहा जा रहा था कि आप शांति बनाए रखें. हम चर्चा करने को तैयार हैं. लेकिन हाउस में शांति नहीं हुई.
भाजपा किसान मोर्चा की रैली कल
वहीं भाजपा किसान मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राजकुमार चाहर किसानों के सम्मान में 30 नवंबर को हापुड़ (उत्तर प्रदेश) में एक विशाल ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व करेंगे. यह ट्रैक्टर रैली नई मंडी परिषद से हापुड़ तक निकाली जाएगी, जिसमें उत्तर प्रदेश अध्यक्ष किसान मोर्चा कामेश्वर एवं संगठन के अन्य पदाधिकारियों की गरिमापूर्ण उपस्थिति रहेगी. केंद्र में मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में एक विशाल जनसभा को संबोधित भी करेंगे.