केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के साथ ही सबसे मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या अब किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा. हालांकि, किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कर दिया है कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. आईए जानते हैं कृषि कानूनों को वापस लेने पर 10 किसान नेताओं की प्रतिक्रिया
राकेश टिकैत:
राकेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. राकेश टिकैत ने साथ ही ये भी साफ किया है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ-साथ किसानों से संबंधित दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे. राकेश टिकैत ने आजतक से बातचीत में पीएम मोदी के ऐलान पर अविश्वास जताया. उन्होंने साफ कहा कि अभी तो बस ऐलान हुआ है. हम संसद से कानूनों की वापसी होने तक इंतजार करेंगे. राकेश टिकैत ने साथ ही ये भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत किसानों से जुड़े अन्य मसलों पर भी बातचीत का रास्ता खुलना चाहिए.
नरेश टिकैत:
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने ट्वीट किया, किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं. आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे. यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी. जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है. जमीन कम हो रही है. किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे. जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा .
भानु प्रताप सिंह:
भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने की आज घोषणा कर दी है. इसके लिए उनका बार-बार स्वागत और बार-बार अभिनंदन करता हूं. ऐसा ही होना चाहिए देश का प्रधानमंत्री जो किसानों के लिए एक की बात सुनकर किसी को दुखी ना होने दें . लेकिन लेकिन भारत के किसानों के बारे में मैं जानता हूं किसान परेशान हैं 75 साल में किसानों को कोई खेती के भाव नहीं मिले, गेहूं का, गन्ने का, आलू का धान का इसलिए किसान कर रहा है इसलिए कर्जा माफ करने की घोषणा करके किसान आयोग का गठन करके किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार दे दो.
हन्नान मोल्लाह
ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, इस घोषणा का हम स्वागत करते हैं. जब तक संसद में कार्रवाई पूरी नहीं होती. यह पूरा नहीं होगा. तब तक हम इंतजार करेंगे और दूसरी बात यह है कि जो किसानों की समस्या है वह हल नहीं हो रही है. जब तक मिनिमम सपोर्ट प्राइस के लिए वह कानून जब तक पास नहीं होगा तब तक किसानों को कोई फायदा होने वाला नहीं है और इसके लिए हमारा आंदोलन जारी है जारी रहेगा .26 नवंबर को आंदोलन के 1 साल पूरा होने पर पूरा देश में लाखों किसान रास्ते पर उतरेगा. यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कृषि कानून एमएसपी बिल पास नहीं हो जाता है.
गुरनाम सिंह चढ़ूनी
आंदोलन में शहीद हुए किसान साथियों को श्रद्धांजलि और आंदोलनकारी किसान साथियों के संघर्ष को सलाम आपकी एकता और कड़े आंदोलन के आगे दुनिया के सबसे हठी आदमी को झुकना पड़ा और अगला फैसला संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में लिया जाएगा.
योगेंद्र यादव
किसान आंदोलन से जुड़े योगेंद्र यादव ने कहा, श्री गुरुनानक देव ने कहा था "कीरत करो" यानी ईमानदारी से मेहनत करो, आज हर कीरत करने वाले किसान की जीत हुई है. यह जीत सालभर से दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष करने वाले किसान की जीत है. लेकिन हमे याद रखना है जब तक सरकार को सत्ता का अहंकार रहेगा तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
बीएम सिंह
किसान नेता राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा, जो संघर्ष किसानों ने किया था वो आज भी गांव-गांव में चल रहा है. किसान को MSP गारंटी बिल चाहिए. जब तक MSP पर गारंटी नहीं मिलती किसान को लाभ नहीं होगा. हमें एक-एक किसान का फायदा देखना है, न कि किसान नेताओं का.
डॉ दर्शनपाल सिंह
किसान नेता डॉ दर्शनपाल सिंह ने कहा, 12 महीने से ज्यादा समय से लंबा संघर्ष चला. किसानों के मुद्दों पर जो लड़ाई चली, उसने देश में माहौल बना दिया है कि देश को रास्ता मिला है कि आने वाले समय में जो लोगों की समस्याएं हैं, उन पर संघर्ष किया जाए. मैं पूरे किसानों को बधाई देना चाहता हूं कि गुरु नानक जयंती पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है. उन्होंने इसमें गलती मानते हुए ये महसूस किया, कि भले ही अच्छे के लिए बनाए थे, लेकिन हमें इन्हें वापस लेंगे. यह किसानों की एकता के चलते हो पाया है.
संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए सभी तीन किसान-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की है. उन्होंने गुरु नानक जयंती के अवसर पर यह घोषणा करने का निर्णय लिया. संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा. अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी. हालांकि, इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है.
संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है. किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है. इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकी है. एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा.
RSS समर्थित भारतीय किसान संघ
अनावश्यक विवाद टालने के संदर्भ में तीनों खेती कानूनों को वापस लेने का सरकार का निर्णय ठीक है. किसानों की हठ धर्मिता के कारण किसान का नुकसान ही करने वाला है. भारतीय किसान संघ के अनुसार किसानों की सही समस्या उसका बाजार में होने वाला शोषण है जिसे लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य का कानून बनाकर गारंटी देने की आवश्यकता है.