कृषि कानून के मसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के बाद आज पहली बार सरकार और किसान संगठन बातचीत की टेबल पर आए. विज्ञान भवन में हुई चर्चा में हालांकि कुछ नई बात नहीं दिखी और दोनों ही पक्ष अपने-अपने तर्कों पर अड़े हुए दिखाई दिए. एक ओर किसानों ने जहां कृषि कानून वापसी की जिद पकड़ी है, तो सरकार भी संशोधन से आगे कदम नहीं बढ़ाना चाहती है.
शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से साफ कहा गया कि हम तीनों कानूनों को वापस नहीं लेंगे, हम संशोधन करने को तैयार हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को कहा कि देश में और भी बहुत किसान हैं, जो इस बिल का समर्थन कर रहे हैं. इसलिए हमें पूरे देश के किसानों को ध्यान में रखना पड़ेगा.
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जवाब में किसान संगठनों ने भी सख्त रुख अपनाया. किसानों ने कहा कि सरकार को तीनों कानून वापस लेने ही होंगे, वरना हम पीछे नहीं हटेंगे. किसानों ने तर्क दिया कि देशभर में इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. जो सड़कों पर आकर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, वो अपने स्थानों से समर्थन जता रहे हैं.
सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट के फायदे भी किसानों को गिनाए और कहा कि हम आपके फायदे के लिए काम कर रहे हैं. जिस पर किसानों ने कहा कि इनसे किसानों का हित नहीं बल्कि अहित होने जा रहा है.
बीते दिनों हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुए एक्शन को लेकर किसान संगठनों ने चिंता व्यक्त की और सभी पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने की मांग की. साथ ही पंजाब के ट्रांसपोर्टर्स पर हुई छापेमारी का किसानों ने विरोध किया. सरकार ने भरोसा दिलाया कि उनकी मंशा किसी को परेशान करने की नहीं है.
बैठक में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किसानों के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमलीकरण पर फिलहाल रोक लगा दी है, कमेटी बनाई है. हालांकि, किसानों ने कहा कि ये रोक पक्की नहीं है, ऐसे में इसपर विश्वास नहीं है. यही कारण है कि वो तीनों कानून वापस होने तक नहीं हटेंगे.