कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन में बुधवार को कुछ ऐसा घटा कि हर कोई हैरान हो गया. हरियाणा के करनाल से प्रदर्शन स्थल पहुंचे संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में किसान आंदोलन का समर्थन किया और लिखा कि उनसे ये दुख देखा नहीं जा रहा है. इस घटना से संत राम सिंह के शिष्यों में रोष है और उनका कहना है कि ये आत्महत्या नहीं, बल्कि शहादत दी गई है.
पिछले करीब 2 दशक से उनके शिष्य गुलाब सिंह ने इस पूरी घटना को लेकर एक अखबार से बातचीत की. गुलाब सिंह के मुताबिक, 8-9 दिसंबर को ही बाबा राम सिंह ने करनाल में एक समागम किया, जिसमें किसान आंदोलन के लिए अरदास रखी गई. उन्होंने खुद भी आंदोलन में मदद के लिए पांच लाख रुपये, गर्म कंबलों की सेवा दी.
शिष्य के मुताबिक, संत राम सिंह ने अपनी डायरी में किसान आंदोलन को लेकर दुख व्यक्त किया था और कहा था कि अब उनसे ये देखा नहीं जा रहा है. इसके बाद वो आंदोलन वाली जगह आए, उन्होंने अपने साथ आए लोगों से स्टेज के पास जाने को कहा और खुद गाड़ी के पास चले गए.
देखें: आजतक LIVE TV
जहां अपना अंतिम नोट लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए लोग नौकरी, घर छोड़कर आ रहे हैं ऐसे में मैं अपना शरीर समर्पित करता हूं. इसी के बाद गाड़ी में रखी पिस्तौल से उन्होंने खुद को गोली मार ली.
आपको बता दें कि संत बाबा राम सिंह करनाल के सिंगड़ा गांव में रहते थे, जहां उनका डेरा था. अपने भक्तों में वो सिंगड़ा वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे.
गुरुवार को जब सिंघु बॉर्डर पर उनके आत्महत्या करने की बात सामने आई तो हर कोई हैरान रहा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर समेत अन्य नेताओं ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है.
संत बाबा राम सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा, उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए भी रखा जाना है. गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान इससे पहले भी कुछ आंदोलनकारियों की ठंड के कारण मौत हो चुकी है.