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Explainer: SC कमेटी के सदस्यों पर विवाद क्यों? कृषि सुधार-किसान बिल को लेकर क्या रहे हैं उनके विचार?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यों की कमेटी पर विवाद जारी है. किसान संगठनों ने कमेटी के सदस्यों को कानूनों का समर्थक बताया है तो वहीं विपक्षी दल भी किसानों के साथ हैं. ऐसे में कमेटी में शामिल सदस्यों के बारे में जानिए...

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किसान संगठनों ने किया है कमेटी का विरोध (पीटीआई)
किसान संगठनों ने किया है कमेटी का विरोध (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर विवाद
  • किसानों ने सदस्यों के चयन का विरोध किया
  • कानून के समर्थन में बयान दे चुके हैं चारों

कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान संगठनों में बात ना बनती देख सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. सर्वोच्च अदालत ने केंद्र द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है, मौजूदा MSP व्यवस्था को जारी रखने को कहा है. साथ ही एक कमेटी का गठन किया है, जिसमें चार एक्सपर्ट शामिल किए गए हैं. ये कमेटी कृषि कानून के विवाद को समझेगी और सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

लेकिन अब इस कमेटी को लेकर ही विवाद शुरू हो गया है. कमेटी में जो चार सदस्य हैं, किसान संगठनों का आरोप है कि वो सभी नए कृषि कानून के समर्थक हैं और वक्त-वक्त पर इनका समर्थन करते आए हैं. ऐसे में किसान संगठनों ने कमेटी की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्षी दलों का साथ ही किसानों को मिला है. ऐसे में आप इस कमेटी का चारों सदस्यों से रू-ब-रू होइए और जानिए कि आखिर क्यों किसान संगठन आपत्ति जाहिर कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में कुल चार सदस्य हैं, जो कि अशोक गुलाटी, प्रमोद कुमार जोशी, अनिल घनवंत और भूपेंद्र सिंह मान है. कमेटी में कृषि एक्सपर्ट से लेकर किसान संगठन के प्रमुख हैं, जिन्हें अगले दस दिनों में अपनी पहली मीटिंग करनी है. पहली मीटिंग के दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, इस दौरान कमेटी कृषि कानून के मसले पर सभी संगठनों से बात करेगी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

1. अशोक गुलाटी
प्रोफाइल:
कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी ICRIER में तीन साल प्रोफेसर रह चुके हैं. भारत सरकार को MSP के मुद्दे पर सलाह देने वाली कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं, 2015 में उन्हें पद्म श्री सम्मान दिया गया. 

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कृषि कानून पर राय: अशोक गुलाटी ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया और कृषि क्षेत्र के लिए इसे 1991 जैसा फैसला बताया. आंदोलन पर राय व्यक्त करते हुए अशोक गुलाटी ने बयान दिया था कि किसानों को सही तरीके से समझाने की जरूरत है, विपक्ष भी सत्ता में रहते हुए ऐसा कानून लाना चाहता था.

देखें: आजतक LIVE TV 

2. प्रमोद कुमार जोशी
प्रोफाइल:
नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट के डायरेक्टर रह चुके प्रमोद कुमार जोशी को आर्थिक-कृषि मामलों का जानकार माना जाता है. 

कृषि कानून पर राय: जब नए कानूनों की चर्चा चल रही थी तब प्रमोद जोशी ने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने कानूनों को सही करार दिया था. जोशी के अनुसार, नए कृषि कानून भारतीय कृषि क्षेत्र को ग्लोबल स्टेज पर आने का मौका देंगे. प्रमोद कुमार जोशी ने बयान दिया था कि कुछ राजनीतिक दल किसानों की समस्या को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, यही कारण है कि केंद्र-किसानों का विवाद नहीं सुलझा है.

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3. अनिल घनवंत
प्रोफाइल:
महाराष्ट्र के बहुचर्चित शेतकारी संगठन के प्रमुख अनिल घनवंत की किसानों पर पकड़ मानी जाती है. इस संगठन की शुरुआत किसान नेता शरद जोशी ने की थी, जिनकी मांग थी कि किसानों को खुले बाजार में आने का अवसर मिले.

कृषि कानून पर राय: अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने बयान में अनिल घनवंत ने कृषि कानूनों का खुले तौर पर समर्थन किया था. अनिल के मुताबिक, नए कानून कृषि क्षेत्र को सही दिशा में ले जाएंगे.

4. भूपेंद्र सिंह मान
प्रोफाइल: ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख और पूर्व राज्यसभा सांसद भूपेंद्र सिंह मान को लेकर भी विवाद है. उनका संगठन के तहत कई किसान संगठन आते हैं, ऐसे में किसानों पर उनका प्रभाव भी अच्छा है.

कृषि कानून पर राय: ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी ने दिसंबर महीने में ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन कर दिया था. हालांकि, कुछ संशोधनों की मांग जरूर की थी जिनमें MSP पर लिखित गारंटी देने को कहा गया था.

सिर्फ किसान संगठनों ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी इस कमेटी के चयन पर सवाल खड़े किए हैं. राजनीतिक दलों का कहना है कि जिन सदस्यों का चयन किया गया है वो पहले ही कानूनों के पक्षधर रहे हैं, ऐसे में आंदोलनकारी किसानों की आवाज को कैसे सुना जाएगा. किसान संगठनों ने अपना आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया है.
 

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