सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को किसान आंदोलन से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सरकार और किसान संगठनों के बीच कोई हल ना निकलते देख अब सुप्रीम कोर्ट कमेटी बनाने की तरफ बढ़ चुका है. हालांकि, सोमवार को अदालत ने साफ किया कि वो आंदोलन को नहीं रोकेंगे, भले ही वो जगह बदलने की अपील कर सकते हैं. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक खास अपील आंदोलन में शामिल महिलाओं और बुजुर्गों के लिए की गई.
दरअसल, जब किसानों की ओर से वकील एच.एस. फुल्का ने कहा कि बॉर्डर पर एक-डेढ़ लाख लोग बैठे हैं, हजारों की संख्या में लोग अपने जिलों में ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसी के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से हर किसी का दिल्ली में स्वागत है, आप उनसे कहें कि सिर्फ अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए वापस जाएं. बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों का आंदोलन में शामिल होना जरूरी नहीं है.
इसपर एच.एस. फुल्का की ओर से कहा गया कि महिलाएं और बुजुर्ग अपनी मर्जी से ही आंदोलन में बैठे हैं. चीफ जस्टिस ने इसपर आगे कहा कि मैं यहां रिस्क लेता हूं और एक सीधा संदेश उन्हें देता हूं. आप महिलाओं और बुजुर्गों से कहें कि CJI चाहते हैं कि आप घर चले जाएं.
दरअसल, इस मामले की सुनवाई की शुरुआत में भी जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्ती बरती गई, तो इस बात का जिक्र किया गया था. अदालत ने कहा कि इतनी ठंड में बुजुर्ग, बच्चे और किसान सड़क पर बैठे हैं, ऐसे में अभी तक विवाद का हल क्यों नहीं निकला है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई में साफ किया कि वो किसी को भी आंदोलन करने से मना नहीं कर सकते हैं, हालांकि वो जगह बदलने की अपील जरूर कर सकते हैं. हर कोई चाहता है कि किसी को नुकसान ना पहुंचे, प्रदर्शन कर रहे किसानों की सुरक्षा भी जरूरी है. अब सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मसले पर मंगलवार को अपना निर्णय सुनाएगा.