किसान आंदोलन 2.0 के दौरान गोली लगने से मारे गए युवा किसान शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि देने खनौरी बॉडर पर आज (गुरुवार को) पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान पहुंचे. इसी महीने की 21 तारीख को हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसक टकराव के दौरान बठिंडा के बल्लो गांव के 22 वर्षीय युवा किसान की जान चली गई थी.
शुभकरण सिंह का पार्थिव शरीर राजिंदरा अस्पताल, पटियाला से खनौरी बॉर्डर पर लाया गया था. उनके पार्थिव शरीर पर फार्म यूनियन का झंडा लपेटा हुआ था. हजारों किसान बीकेयू एकता और किसान मजदूर मोर्चा के झंडे के साथ इकट्ठा हुए थे.
इस सभा के दौरान किसान आंदोलन 2.0 के सभी नेता, जिनमें सरवन पंधेर, जगजीत सिंह दल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़ और अन्य शामिल हैं, मौके पर मौजूद रहे. इस दौरान इकट्ठा हुए किसान 'शहीद किसान शुभकरण अमर रहे' के नारे लगा रहे थे.
आजतक से बात करते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, ''22 साल इस दुनिया को छोड़ने की उम्र नहीं है, मैं शुभकरण सिंह के परिवार और उनकी मां को सलाम करना चाहता हूं जिन्होंने उनके जैसे योद्धा को जन्म दिया.''
खनौरी बॉर्डर पर हुई थी मौत
आपको बता दें कि MSP और अन्य मांगों को लेकर किसानों के प्रदर्शन के दौरान पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण की मौत हो गई थी. बुधवार को पंजाब पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. पुलिस ने हत्या और अपराध के लिए उकसाने को लेकर मामला दर्ज किया है. इससे पहले शुभकरण के परिवार वालों ने पंजाब सरकार के सामने मांग रखी थी कि जब तक भगवंत मान सरकार शुभकरण के हत्यारों को सजा नहीं देगी, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.
कौन था शुभकरण सिंह
शुभकरण सिंह की उम्र करीब 22 साल थीं. वह दो बहनों का एकलौता भाई था, जिनके पिता चरणजीत सिंह स्कूल वैन ड्राइवर हैं और मां की पहले ही मौत हो चुकी है. शुभकरण सिंह के पास खुद की साढे 3 एकड़ जमीन है. इसके अलावा उन्होंने कुछ जानवर भी पाले हुए थे. शुभकरण के पीछे अब उसके पिता , दादी और दो बहनें हैं. एक बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. जबकि दूसरी छोटी बहन की शादी का जिम्मा शुभकरण पर ही था.
सरकार से क्या चाहते हैं किसान?
पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस के द्वारा दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने और 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए 'इंसाफ', भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और साल 2020-21 में हुए किसान आंदोलन दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.