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MSP पर कमेटी, कानून या कमिटमेंट? जानिए दिल्ली में आंदोलन 2.0 के लिए क्यों जुटे हैं किसान

संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि किसान महापंचायत में देशभर से लाखों किसान जुट रहे हैं. ऐसे में इसे किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी भी मानी जा रही है. उधर, केंद्र सरकार ने किसानों को रुख देखते हुए किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ किसान नेताओं की बैठक हुई. हालांकि, इसमें कोई बात बनती नहीं दिख रही है. बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई, तो 20-21 दिन में आंदोलन करेंगे.

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रामलीला मैदान में जुटे किसान (फोटो- ट्विटर)
रामलीला मैदान में जुटे किसान (फोटो- ट्विटर)

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के करीब 1.5 साल बाद हजारों किसान एक बार फिर दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटने लगे हैं. ये किसान महापंचायत न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर है. संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को जो लिखित में आश्वासन दिए थे, उन्हें पूरा करे और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए. 

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दरअसल, केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में संसद में तीन कृषि कानून पास किए थे. इन कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी समेत देश के तमाम राज्यों के किसानों ने दिल्ली में कूच किया था. करीब एक साल तक किसान दिल्ली के बार्डरों पर डटे रहे थे. इसके बाद किसानों से कई स्तर की बातचीत के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लिया था. साथ ही किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की लंबित मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था. 

एमएसपी पर कमेटी और कानून पर रार

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने एमएसपी पर सुझाव के लिए 29 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था. लेकिन किसान संगठन इस कमेटी से संतुष्ट नहीं हैं. किसानों की मांग है कि सरकार कमेटी को भंग करे और MSP पर कानून लाए. इसी मांग को लेकर  अब किसानों ने एक बार फिर दिल्ली का रुख किया है. 

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संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी पर सुझाव के लिए बनी समिति को भंग करने की मांग की है. किसानों का आरोप है कि यह उनकी मांगों के विपरीत है. आजतक से खास बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने एमएसपी कमेटी की मांग नहीं की, हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है. साथ ही कहा कि हमने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को 8 सीटों से घटाकर एक सीट पर कर दिया. 2024 में पूरे देश में बीजेपी का एक जैसा हश्र होगा. हम यहां केंद्र सरकार से मिलने आए हैं. आपसी सहमति से मसले को सुलझाना चाहिए. संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में पंचायतों का आयोजन करता है. हमने कभी एमएसपी पर कमेटी की मांग नहीं की. हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है. उन्हें संसद में बिल पेश करना चाहिए और इसे पास करना चाहिए.

'बात नहीं मानी तो 20-21 दिन में आंदोलन'

संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि किसान महापंचायत में देशभर से लाखों किसान जुटेंगे. ऐसे में इसे किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी भी मानी जा रही है.  उधर, केंद्र सरकार ने किसानों को रुख देखते हुए किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ किसान नेताओं की बैठक हुई. हालांकि, इसमें कोई बात बनती नहीं दिख रही है. बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई, तो 20-21 दिन में आंदोलन करेंगे. 

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क्या हैं किसानों की मांगें?

1- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर MSP पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया जाए और लागू किया जाए.
   
2- सभी फसलों की MSP पर कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार ने वादा किया गया था. 

3- किसानों की कर्ज मुक्ति और खाद की कीमतों में कमी की मांग.

4- संयुक्त संसदीय समिति को विचार के लिए भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए.

5- कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली फ्री मिले. 

6- लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए.

7- किसान आंदोलन के दौरान और लखीमपुर में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने का वादा पूरा किया जाए.

8- अप्रभावी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे.

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9- किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाएं. 
10- सिंघु मोर्चे पर आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाए.
 11- सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए.

 

 

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