केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और 13 किसान नेताओं की बातचीत हुई. ये बातचीत करीब 2 घंटे चली. बैठक में मौजूद किसान नेताओं के मुताबिक, पूसा इंस्टिट्यूट में हुई बैठक में सबसे पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने बात रखी. उनके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी बात रखी.
सरकार ने कुछ बिंदुओं (किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार, प्राइवेट प्लेयर्स का पंजीकरण, प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स से जुड़ा मसला) पर कानून संशोधन करने पर रजामंदी दिखाई है. सरकार ने लगातार इस पर जोर दिया कि बिल में जो संशोधन चाहिए वो किए जा सकते हैं.
कृषि कानूनों की शब्दावली में भी समस्या
वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि अगर कानून में संशोधन होता है तो उसकी रूपरेखा बदल जाएगी. यह स्टेकहोल्डर को गलत तरीके से प्रभावित कर सकता है. वहीं, जिस कानून में इतने संशोधन की जरूरत हो, फिर उसका औचित्य क्या रह जाता है? कृषि कानूनों की शब्दावली में भी समस्या है, उसको कहा तक ठीक करेंगे. ऐसे में इस कानून को रद्द करने के अलावा कोई उपाय नहीं है.
बैठक के अंत में अमित शाह तमाम किसान नेताओं से मिलने आए और उनसे एक बार फिर मसले पर विचार विमर्श करने को कहा. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार अपनी तरफ से जो भी बदलाव कर सकती है, वो लिखित तौर पर गुरुवार सुबह 11 बजे तक उनको भेज दिया जाएगा.
छठे दौर की वार्ता स्थगित
बैठक के बाद किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार बुधवार को लिखित में प्रस्ताव देगी. सरकार के प्रस्ताव पर किसान दोपहर 12 बजे सिंधु बॉर्डर पर बैठक करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के साथ बुधवार को होने वाली छठे दौर की वार्ता भी स्थगित कर दी गई है. हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी.
बता दें कि गृह मंत्री से पहले किसान नेताओं की सरकार के साथ अब तक पांच राउंड की बैठक हो चुकी है. पांचों ही वार्ता बेनतीजा रही. सरकार जहां कृषि कानून को वापस लेने से इनकार कर रही है तो वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.