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आंदोलन के 6 माह पूरे, संयुक्त किसान मोर्चा ने किया विरोध-प्रदर्शन का ऐलान

संयुक्त किसान मोर्चा ने लोगों से भी अपील की है कि इस दिन अपने घर, वाहनों और अन्य जगह काले झंडे लगाकर विरोध करें. केंद्र सरकार के पुतले जलाएं और सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करें.

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काला दिवस मनाएगा संयुक्त किसान मोर्चा (फाइल फोटोः पीटीआई)
काला दिवस मनाएगा संयुक्त किसान मोर्चा (फाइल फोटोः पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संयुक्त किसान मोर्चा मनाएगा बुद्ध पूर्णिमा-विरोध दिवस
  • काला झंडा लगाने, केंद्र का पुतला फूंकने की अपील

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 6 माह पूरे हो गए हैं. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुद्ध पूर्णिमा मनाने का ऐलान किया है. दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों ने इस दिन को विरोध दिवस के तौर पर मनाने, काले झंडे लगाने और पुतला फूंक केंद्र सरकार का विरोध करने का ऐलान किया है.

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सयुंक्त किसान मोर्चा ने बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार मनाने की अपील करते हुए कहा है कि इससे सत्य और अहिंसा के विचार को प्रसारित किया जा सकेगा. मोर्चे की ओर से आरोप लगाया गया है कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से इस आंदोलन को हिंसक रंग देने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन वे हमेशा फेल हुए हैं. किसानों ने सत्य के दम पर अपने आप को मजबूत बनाए रखा है. इसी सत्य और अहिंसा की ताकत के कारण किसान आंदोलन सफल होगा.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 26 मई 2014 से यानी जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, तब से लेकर अब तक वह किसानों के खिलाफ फैसले लेती रही है. ये फैसले किसान ही नहीं, जनता के भी खिलाफ हैं. मोर्चा ने यह भी आरोप लगाया कि इस सरकार में किसानों, मजदूरों, गरीबों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों, छात्रों, युवाओं, छोटे व्यापारियों और सभी नागरिकों का लगातार दमन किया गया. मोदी सरकार के 26 मई 2021 को 7 साल होने जा रहे हैं जिसे संयुक्त किसान मोर्चा विरोध दिवस के रूप में मना रहा है.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने लोगों से भी अपील की है कि इस दिन अपने घर, वाहनों और अन्य जगह काले झंडे लगाकर विरोध करें. केंद्र सरकार के पुतले जलाएं और सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करें. इस दौरान नागरिक ऑनलाइन माध्यमों से भी सरकार का विरोध करें. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 'काला दिवस' पर किसानों, मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, लेखकों, चित्रकारों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों और दुकानदारों सहित हर वर्ग के लोगों से अपना विरोध व्यक्त करने की अपील की है. किसान नेताओं ने कहा कि पक्के मोर्चों में काली पगड़ी और काली चुन्नी पहनी जाए. चौक-चौराहों पर नारेबाजी और धरना-प्रदर्शन किया जाए. काले झंडे लगाकर, केंद्र सरकार के पुतले फूंक कर तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक 2020 और प्रदूषण अध्यादेश का कड़ा विरोध किया जाएगा.

संघ के किसान संगठन ने जताई आपत्ति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रस्तावित विरोध दिवस को लेकर आपत्ति जताई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे स्वाभाविक बताते हुए कहा है कि इस आंदोलन के कारण भारतीय किसान संघ की जमीन खिसक चुकी है. भारतीय किसान संघ ने किसान मोर्चा पर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं और किसानों को बदनाम करने का प्रयास किया है. सयुंक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान संघ की ओर से लगाए गए आरोप खारिज किए हैं.

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बलवीर सिंह राजेवाल, डॉक्टर दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव और अभिमन्यु कोहाड़ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर लड़ रहे हैं. बीकेएस हम पर गलत आरोप लगा रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बीकेएस से अपील की है कि वे सरकार से कहें कि ये तीनों कानून तुरंत रद्द किए जाएं और एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए जिससे किसानों का ये आंदोलन खत्म हो और सभी किसान घर लौटें.

मोर्चा ने साथ ही यह भी कहा है कि भारतीय किसान संघ यह जानने को उत्सुक है कि हमने विरोध दिवस के लिए 26 मई का दिन ही क्यों चुना. हम उनको यह स्पष्ट रूप से बता देना चाहते हैं कि किसान विरोधी बीजेपी की सरकार इसी दिन सत्ता में आई थी.

 

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