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कृषि कानून के मसले पर पिछले एक हफ्ते से दिल्ली और आसपास के इलाकों में किसानों ने डेरा जमाया हुआ है. किसानों के आंदोलन के कारण जाम की स्थिति है और कई तरह की परेशानी भी हो रही हैं, लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े हैं. मंगलवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच एक बैठक होनी है, जो आगे की राह साफ कर सकती है. लेकिन बैठक से पहले जो संकेत मिल रहे हैं उनमें दोनों ही ओर से कोई झुकने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में क्या सिर्फ एक बैठक से मुद्दा हल हो सकेगा इसपर हर किसी की निगाहें हैं.
किसान संगठन अपनी मांग पर अड़े, कई तरह से विरोध
पंजाब और देश के अन्य इलाकों से आए करीब 30 से अधिक किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं. दिल्ली-गुरुग्राम, दिल्ली-नोएडा, दिल्ली-गाजियाबाद, दिल्ली-मेरठ समेत अन्य कई सीमाओं पर किसानों के अलग-अलग संगठन बैठे हैं, खाना बना रहे हैं, विरोध प्रदर्शन जारी हैं. सिंधु बॉर्डर पर हर रोज़ किसानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है, बीते दिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने केंद्र की किसी तरह की बात में आने से इनकार किया.
किसान संगठनों का कहना है कि सरकार को मौजूदा बिल वापस लेना चाहिए या फिर इसमें बदलाव करना चाहिए. MSP को बनाए रखने, मंडी खत्म ना करने की बात को किसान लिखित में कानून के अंदर चाहते हैं, ताकि भविष्य में फिर संकट की स्थिति पैदा ना हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई अपील का भी किसानों के संगठनों पर कोई खास असर नहीं हुआ.
किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वो लंबे वक्त तक दिल्ली की सड़कों पर डेरा जमाने के लिए तैयार हैं, फिर चाहे झोपड़ी बनाना हो या फिर खाना बनाने हो, उनके पास कई महीने का सामान है.
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भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत की ओर से भी सरकार को चेतावनी दी गई और दिल्ली-एनसीआर को पूरी तरह से ब्लॉक करने की बात कही गई. संगठनों का कहना है कि वो सिर्फ सरकार के साथ होने वाली चर्चा का इंतजार कर रहे हैं, पीएम मोदी जो बात कर रहे हैं उन्हें कानून का हिस्सा बनाने की जरूरत है. BKU ने आरोप लगाया कि किसानों को केंद्र द्वारा कहा गया MSP नहीं मिल रहा है, हमें लोन नहीं सिर्फ MSP चाहिए.
सरकार बात करेगी, लेकिन बैकफुट पर नहीं
किसानों ने जिस तरह से दिल्ली-एनसीआर के इलाके को ब्लॉक किया है उससे सरकार की चिंता बढ़ी है. क्योंकि आंदोलन लगातार फैलता जा रहा है और पूरे देश में इसकी चर्चा है. लेकिन सरकार इसके बाद भी कृषि कानूनों की तारीफ कर रही है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन वाराणसी में किसानों की दिक्कतों पर बात की, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि विपक्षी राजनीतिक दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं, नए किसान कानून लोगों के फायदे के लिए हैं और इनसे कोई नुकसान नहीं होगा.
पीएम मोदी के अलावा बीजेपी के बड़े नेता, केंद्र सरकार में मंत्रियों द्वारा बीते दिन सोशल मीडिया पर लगातार कृषि कानूनों के फायदे गिनाए गए और इन्हें ऐतिहासिक कदम करार दिया गया. साफ है कि जिस तरह सरकार की ओर से लगातार नए कानूनों का गुणगान चल रहा है, वो इनमें बदलाव के मूड में नहीं है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी किसान आंदोलन के दौरान हंगामा करने वाले, तोड़फोड़ करने वाले कई लोगों पर FIR दर्ज की है, जो सरकार की सख्ती का उदाहरण देती है.
किसानों के मुद्दे पर कई राजनीतिक दल खुलकर किसानों के समर्थन में आए हैं और सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई है. ऐसे में बीजेपी की ओर से भी पलटवार करते हुए मुद्दे का राजनीतिकरण, किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है.