देश की राजधानी नई दिल्ली में आज यानी 13 फरवरी को किसान आंदोलन के चलते सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. पंजाब. हरियाणा और यूपी से किसान दिल्ली आने लगे हैं. इसकी वजह से दिल्ली से सटी तमाम सीमाओं पर ट्रैफिक जाम लग गया है. वहीं, दिल्ली के चारों बॉर्डर, टिकरी, सिंघू, गाजीपुर और शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया गया है. इन सभी बॉर्डरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि किसान दिल्ली में एंट्री ना कर सकें. आइए जानते हैं इन चारों बॉर्डरों के बारे में.
सिंघु बॉर्डर: सिंघु एक गांव का नाम है, जो उत्तर पश्चिम दिल्ली के हिस्से में है. यह बॉर्डर उत्तर पश्चिमी दिल्ली को हरियाणा से जोड़ता है. हर रोज लोग बड़ी संख्या में दिल्ली से हरियाणा और हरियाणा से दिल्ली इस बॉर्डर के जरिए सफर करते हैं. इसके सील होने के बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
टिकरी बॉर्डर: टिकरी बॉर्डर दिल्ली को हरियाणा के बहादुरगढ़ से जोड़ता है. यह बॉर्डर दिल्ली-रोहतक रोड (नेशनल हाइवे 10) पर स्थित है. किसान आंदोलन को देखते हुए इस बॉर्डर को भी सील कर दिया गया है.
गाजीपुर बॉर्डर: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर दिल्ली का एक प्रमुख बॉर्डर है. यह ग़ाज़ियाबाद क्षेत्र के पास स्थित है. ग़ाज़ीपुर पूर्वी दिल्ली जिले का एक गांव है, और शहर के सबसे बड़े गांवों में से एक है. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के टोल प्लाजा को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के नाम से जाना जाता है जो दिल्ली को नोएडा से जोड़ता है. यह बॉर्डर हसनपुर गांव (800 मीटर), कल्याणपुरी (2 किमी), आनंद विहार (2 किमी), निर्माण विहार (3 किमी), सूरजमल विहार (4 किमी), पटपड़गंज (4 किमी) को जोड़ता है. नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, लोनी ग़ाज़ीपुर के नजदीकी शहर हैं.
शंभू बॉर्डर: शंभू पंजाब राज्य के पटियाला जिले में आता है. ये हरियाणा की सीमा के पास एक गांव है. ये बॉर्डर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा को आपस में जोड़ता है. बता दें, हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर हालात बेकाबू हो गए हैं. किसान लगातार दिल्ली कूच के लिए अड़े हुए हैं तो हरियाणा पुलिस उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रही है. दिल्ली में घुसने की जिद पर अड़े किसान सीमेंट बैरिकेड को ट्रैक्टर से हटाने का कोशिश कर रहे हैं.
दिल्ली में किसान आंदोलन. 2.0 शुरू हो चुका है. किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली कूच के लिए अड़े हुए हैं. दिल्ली में घुसने के लिए अड़े किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने सभी सीमाएं सील कर दी हैं. किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन से काफी मिलता जुलता है. पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने वाले हैं. इसलिए इस आंदोलन को किसान आंदोलन 2.0 कहा जा रहा है.
पिछली बार की तरह इस बार किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है. हालांकि, इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है. यह किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है. इसे अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं. किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन फाइनल सहमति नहीं बन पा रही है.