इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने घोषणा की है कि अगर 26 जनवरी तक किसानों की मांगों का हल न निकला तो वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा है. सरकार और किसानों की 15 जनवरी को अगली दौर की बातचीत होगी. इसपर राहुल गांधी ने कहा कि नीयत साफ नहीं है जिनकी, तारीख पर तारीख देना रणनीति है उनकी.
नीयत साफ़ नहीं है जिनकी,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 8, 2021
तारीख़ पे तारीख़ देना स्ट्रैटेजी है उनकी!
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि हम लोग मई 2024 तक यहां पर बैठेंगे. अगर सरकार कह रही है कि कानून वापस नहीं होंगे तो हम भी बैठे हैं. हम 26 तारीख को परेड करेंगे ट्रैक्टरों की. सरकार ने कहा 15 जनवरी को आ जाओ तो हम 15 जनवरी को आ जाएंगे.
किसान नेता हनान मुला ने कहा कि हम कानून वापसी के अलावा कुछ और नहीं चाहते. हम कोर्ट नहीं जाएंगे. कानून वापस होने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को तय कार्यक्रम के मुताबिक हमारी परेड होगी.
आज की बैठक में सरकार ने किसानों को कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया. बैठक के बाद किसान नेता हनान मुला ने कहा कि कृषि कानून किसान विरोधी हैं. 11 जनवरी को किसान संगठनों की बैठक होगी.
सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक खत्म हो गई है. आज की बैठक करीब 3 घंटे चली. अब 15 जनवरी को फिर सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक होगी.
सरकार के साथ जारी बैठक में किसान नेता बलवंत सिंह ने एक नोट लिखा है. सरकार से नाराज दिख रहे बलवंत सिंह ने लिखा कि या मरेंगे या जीतेंगे. वहीं, सूत्रों के हवाले से खबर है कि किसानों ने लंच नहीं किया. किसान नेता शांत हैं. आज की बैठक जल्द खत्म हो सकती है.
सरकार और किसान संगठनों की बैठक में लंच ब्रेक हुआ है. ब्रेक के दौरान केंद्रीय मंत्री मीटिंग रूम से बाहर तो निकले, लेकिन किसान नेता अंदर ही मौजूद रहे.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने किसानों के मुद्दे पर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि किसान अपनी MSP के लिए आवाज उठाएगा तो उसे छज्जे गिराने की धमकी दी जाएगी. यूपी में सरकारी गड़बड़ी की वजह से 7.5 लाख से अधिक किसानों को 'सम्मान निधि' नहीं मिली लेकिन सरकार ने किसान आंदोलन रोकने के लिए नोडल अधिकारी बनाएं हैं. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि बीजेपी किसानों का ऐसे सम्मान करती है.
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध बना हुआ है. दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रही वार्ता में सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं. बैठक में सरकार ने एक बार फिर साफ किया है कि वो कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. वहीं, किसान नेताओं की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले.
बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून पूरे देश के लिए है न कि किसी राज्य के लिए. देश के किसान इन कानूनों को खूब समर्थन दे रहे हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि किसान नेताओं को देश हित में आंदोलन को वापस लेना चाहिए. वहीं, किसानो़ं ने कहा कि वो कानून को वापस कराना चाहते हैं. इसके अलावा कुछ मंजूर नहीं. बैठक में सरकार ने ये भी साफ कर दिया कि वो कानून वापस नहीं लेगी.
किसानों के लिए गुरुद्वारा से विज्ञान भवन में लंगर पहुंचा.
सरकार और किसानों के बीच विज्ञान भवन में बैठक शुरू हो गई है. बैठक शुरू होते ही किसानों संगठनों ने कानून वापस लेने की मांग दोहराई. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से बिलो पर चर्चा की अपील करते हुए कहा कि देश का ध्यान रखना भी जरूरी है.
विज्ञान भवन में किसानों से बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल की केंद्रीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ करीब 1 घंटे तक बैठक हुई. अब नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल विज्ञान भवन के लिए निकल गए हैं. किसान संगठनों और मंत्रियों के समूह के साथ थोड़ी देर में बैठक होनी है. 9वें दौर की बैठक
सरकार से बातचीत के लिए किसान नेताओं का दल विज्ञान भवन पहुंच गया है. इस बैठक से पहले बीजेपी सांसद संजीव बलियान ने कहा कि हमें उम्मीद है कि आज बैठक में समाधान निकलेगा और किसान आंदोलन जल्द से जल्द ख़त्म होगा. मेरी किसानो से अपील है कि तीन कृषि क़ानूनों को वापस करने की मांग छोड़कर ख़ामियों पर चर्चा करें, अगर कुछ कमियां है तो सरकार उन बिंदुओ पर संशोधन करने के लिए तैयार हैं.
शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच एक और दौर की बातचीत होनी है. किसानों का कहना है कि वो कानून वापस होने तक नहीं हटेंगे. इस विवाद के बीच गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नानकसर गुरुद्वारा के प्रमुख बाबा लक्खा सिंह से मुलाकात की.
पढ़ें: बाबा लक्खा सिंह, जिनके फॉर्मूले पर किसानों और सरकार में बन सकती है बात
सरकार से बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर कानून जल्दी खत्म नहीं हुआ तो यह आंदोलन 2024 तक जाएगा, हम सभी राज्यों में जाएंगे और वहां पर बड़ी-बड़ी पंचायत करेंगे. हम दस्तावेज बनाकर लोगों में बाटेंगे. सरकार बाजीगर है, अलग-अलग पुड़िया लेकर आती है. हमारे पास भी बहुत सारी पोटली है, अभी हमने वह खोली नहीं है. हमारी पोटली में किसान हैं और हमने उन्हें दवा बता दी है कि कैसे इसका हल होगा.
सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत आज। सुनिए, क्या बोले किसान। #ATVideo @AajTakJitendra #FarmersProtest pic.twitter.com/X1z8qUNc05
— AajTak (@aajtak) January 8, 2021
विज्ञान भवन में किसानों से बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मिल रहे. बातचीत से पहले सरकार की ओर से रणनीति बनाई जा रही है.
सरकार से आठवें दौर की बातचीत के लिए निकले किसान #ATVideo @AajTakJitendra #FarmersProtest pic.twitter.com/1XzoJVucMV
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करके कहा, 'मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के फ़ायदे के लिए देश के अन्नदाता के साथ विश्वासघात किया है. आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी बात कह चुके हैं. अन्नदाताओं की आवाज़ उठाना और उनकी मांगों का समर्थन करना हम सब का कर्तव्य है.
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि विरोधी काले कानूनों के तानाशाही निर्णय व कुदृष्टि से अपने अधिकारों, खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे किसान भाइयों की आवाज को बुलंद करना हमारा नैतिक दायित्व है. ताकि अड़ियल, अहंकारी व असंवेदनशील भाजपा सरकार तक उनकी मांगें पहुंचे.
सिंघु बॉर्डर से किसान नेता विज्ञान भवन के लिए निकल गए हैं. आज विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच में बातचीत होनी है. 2 बसों के जरिये किसान नेता विज्ञान भवन जा रहे हैं.
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के यूथ विंग के अध्यक्ष अभिमन्यु का कहना है कि सरकार को तीनों कानून तो वापस लेने ही होंगे और एमएसपी गारंटी कानून बनाना पड़ेगा. चाहे अब बनाएं या बाद में बनाएं. अगर सरकार जल्दी कोई फैसला नहीं लेती तो यह आन्दोंलन और तेज होगा. कल सभी ने रिहर्सल देख ली होगी और यह आंदोलन सिर्फ कुछ लोगों का नहीं पूरे देश का आंदोलन है. आज की जो मीटिंग है, हम सकारात्मक सोच के साथ जाएंगे. पहले भी हम खुले मन से और सकारात्मक सोच से आए थे, लेकिन सरकार टालमटोल कर रही है.
भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर पंजाब के स्टेट अध्यक्ष जगजीत सिंह ढल्लेवाल का कहना है कि हम उम्मीद लेकर जा रहे हैं कि सरकार कुछ ना कुछ जरूर करेगी, क्योंकि काफी लंबा हो गया है और जो कल हमारी ट्रैक्टर परेड थी, वह भी काफी सफल रही है. सरकार को समझ में आ गया होगा कि किसान एकजुट है और अपने आंदोलन को लेकर के पीछे हटने वाला नहीं है. तीनों कानून वापस हो और एमएसपी गारंटी कानून बने, इससे कम कुछ होगा नहीं. चाहे कितना भी लंबा संघर्ष करना पड़े.
शुक्रवार को होने वाली बातचीत से पहले गुरुवार को किसानों ने दिल्ली से सटी सीमाओं में अपनी ताकत दिखाई. हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों का मार्च निकालकर किसानों ने 26 जनवरी की परेड का टीजर दिखाया. किसान नेताओं का कहना है कि हम 26 जनवरी को इससे भी बड़ी ट्रैक्टर निकालेंगे, साथ ही अगर सरकार नहीं मानती है तो वो 2024 तक आंदोलन चलाने को तैयार हैं.
किसान संगठनों और सरकार के बीच आज एक बार फिर विज्ञान भवन में बातचीत होनी है. किसानों की मांग तीनों कानूनों को वापस लेने, MSP पर गारंटी कानून बनाने की है. सरकार इनमें से MSP के मसले पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन कानून वापस लेने को तैयार नहीं है. सरकार और किसानों के बीच की चर्चा दोपहर 2 बजे होगी.