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आंसू गैस के गोले, पत्थरबाजी, हिरासत में किसान..., जानें- पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर अब कैसे हैं हालात

हरियाणा में शुक्रवार को हजारों की संख्या में किसान खनौरी बॉर्डर की ओर मार्च करने के लिए खेड़ी चौपटा पर इकट्ठा हुए. दरअसल किसान यूनियन और खाप पंचायतों ने किसानों से केहरी चोपटा पर इकट्ठा होने को कहा था. इस कदम से किसनों और स्थानीय प्रशासन के बीच तनाव बढ़ गया है. ऐसे में हिसार पुलिस ने बॉर्डर पर अतिरिक्त फोर्स तैनात की है. 

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किसान आंदोलन
किसान आंदोलन

पंजाब और हरियाणा के किसानों का MSP और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी है. इस बीच हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है. इस पर हिसार पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे, जिसके जवाब में हजारों की संख्या में किसान खेड़ी चौपटा बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए हैं. इस बीच पुलिस ने कुछ किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया है, जिसकी वजह से किसानों ने पथराव किया. 

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हरियाणा में शुक्रवार को हजारों की संख्या में किसान खनौरी बॉर्डर की ओर मार्च करने के लिए खेड़ी चौपटा पर इकट्ठा हुए. दरअसल किसान यूनियन और खाप पंचायतों ने किसानों से केहरी चोपटा पर इकट्ठा होने को कहा था. इस कदम से किसनों और स्थानीय प्रशासन के बीच तनाव बढ़ गया है. ऐसे में हिसार पुलिस ने बॉर्डर पर अतिरिक्त फोर्स तैनात की है. 

इस बीच किसानों की उमड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए प्रशासन ने आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन (नौजवान) के अध्यक्ष अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि शुभकरण किसी का बेटा और भाई था. 21 फरवरी को हमने किसानों से अपील की थी कि वे दिल्ली तक मार्च करते समय शांति बनाए रखें. लेकिन कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़े में आए और किसानों को उकसाना शुरू कर दिया. उन्होंने किसानों पर आंसू गैस के गोले भी दागे. इस दौरान हमारे एक किसान प्रीतपाल को अगवा कर लिया और उसे हरियाणा की तरफ ले गए. उन्होंने हमारे चार किसान भाइयों को भी मार दिया. 

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यह भी पढ़ें: शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे 63 साल के किसान की मौत, हार्ट अटैक की वजह से गई जान

कोहाड़ ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री एमएसपी गांरटी के अपने वादे को पूरा करें. लखीमपुर खीरी के पीड़ितों को न्याय क्यों नहीं मिल रहा. हरियाणा पुलिस जनरल डायर की तरह बर्ताव कर रही. आप हम पर एनएसए लगा सकते हैं लेकिन किसानों को मत मारिए. हम 21 फरवरी को शुभकरण की शहादत के तौर पर याद करेंगे. हिंसा और टकराव कोई समाधान नहीं है.

फिर सड़कों पर हैं किसान

एमएसपी पर लीगल गारंटी के साथ-साथ कई और मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़क पर उतर आए हैं. किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था. लेकिन पुलिस ने पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर ही किसानों को रोक दिया है.

इससे पहले केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर देश में एक साल से भी लंबा किसान आंदोलन चला था. ये आंदोलन 26 नवंबर 2020 से शुरू हुआ था. तब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए थे. 

किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े हुए थे. सालभर तक चले आंदोलन के बाद पिछले साल 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों की वापसी का ऐलान किया था. इन तीनों कानूनों को अब वापस लिया जा चुका है. 

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तीनों कानूनों की वापसी के बाद किसानों ने भी आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि उनकी और भी मांगें हैं और अगर उन्हें पूरा नहीं किया गया तो फिर से आंदोलन किया जाएगा.

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