लगभग एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन आखिरकार स्थगित हो गया है. किसानों का कहना है कि सरकार मांगें पूरी करने के अपने वादे से जरा भी हिली तो प्रदर्शन फिर शुरू होगा. दरअसल, एमएसपी से लेकर किसानों पर लगे केस की वापसी को लेकर सरकार ने लगभग आंदोलनकारियों की सारी मांगें मान ली हैं.
15 से 16 दिसंबर तक पूरा खाली होगा गाजीपुर बॉर्डर
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 15 से 16 दिसंबर तक गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह खाली हो जाएगा. उन्होंने कहा, हम कोशिश करेंगे कि 12 दिसंबर तक कम से कम एक रोड पूरी खुल जाए.
'सरकार के लिए मन में कोई खटास नहीं'
टिकैत ने आगे कहा कि हमारे मन में सरकार के लिए कोई खटास नहीं है, हमारे बीच समझौता हो गया है. आंदोलन में शामिल लोगों को हर साल मिलाने के लिए 8-10 दिनों का एक मेला लगाया जाएगा. हम चाहते थे कि 10 तारीख से ही किसान अपने घरों को जाने लगें लेकिन हेलिकॉप्टर क्रैश में सीडीएस बिपिन रावत और अन्य अधिकारियों के निधन के शोक के बीच हम खुशियां नहीं मनाना चाहते. इसलिए हमने 11 तारीख से विजय मनाने और वापस लौटने का फैसला किया है.
गुरुवार को किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया था कि 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया था. फिर 21 नवंबर को हमने 6 मांगों के साथ सरकार को चिट्ठी लिखी. 7 दिसंबर को सरकार का प्रस्ताव आया जिसपर हमने थोड़े बदलाव चाहे. फिर 8 दिसंबर को सरकार से एक और प्रस्ताव आया तो उसके बाद हमने आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है.
सरकार ने मानी मांगें तो लौटने लगे किसान
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी 'घर वापसी' की तैयारी शुरू कर दी है. सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं. किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है. किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं.