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संयुक्त मोर्चे का आह्वान- 26 जनवरी से पहले ट्रैक्टर लेकर दिल्ली पहुंचें किसान, होगी परेड

बलवीर सिंह रजवाल ने कहा कि सरकार जिस तरीके से दुष्प्रचार कर रही है, हमने उसे गलत साबित किया है. सरकार कह रही है कि हमने एक देश एक मंडी बना दी. हमने कहा आपने एक देश दो मंडी बना दी. सरकार ने कहा कि हमने बिचौलिए हटा दिए, हमने उनसे कहा कि बिचौलिए की परिभाषा बताइए.

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पत्रकारों से बात करते किसान नेता
पत्रकारों से बात करते किसान नेता
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार पर दबाव डालने के लिए होंगे बड़े कार्यक्रम
  • 23 जनवरी को राज्यों में गवर्नर हाउस तक करेंगे मार्च
  • नहीं होने देंगे खेती का कॉर्पोरेटाइजेशन- रजवाल

कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच 4 जनवरी को सरकार से बातचीत होनी है. बातचीत से पहले किसानों ने यह साफ कर दिया है कि वे नए कानून निरस्त होने से कम किसी बात पर राजी नहीं हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने शनिवार को यह कहा कि 4 जनवरी को सरकार से बातचीत होनी है. 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. अगर बात नहीं बनी तो ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.

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पत्रकारों से बात करते हुए दर्शन पाल ने कहा कि अगर अगली बातचीत में कुछ नहीं निकलता तो 6 जनवरी को किसान पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे. रिपब्लिक डे परेड की तरह केएमपी पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे. उन्होंने कहा कि 6 जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक किसान आंदोलन के पक्ष में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव डालने के लिए बड़ी रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

दर्शनपाल ने कहा कि 15 दिनों में जन जागरण और भंडाफोड़ अभियान आयोजित किए जाएंगे. 23 जनवरी को सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर हमने अलग-अलग राज्यों में गवर्नर हाउस की तरफ मार्च करने का आह्वान किया है. वहीं, बलवीर सिंह रजवाल ने कहा कि सरकार जिस तरीके से दुष्प्रचार कर रही है, हमने उसे गलत साबित किया है. सरकार कह रही है कि हमने एक देश एक मंडी बना दी. हमने कहा आपने एक देश दो मंडी बना दी. सरकार ने कहा कि हमने बिचौलिए हटा दिए, हमने उनसे कहा कि बिचौलिए की परिभाषा बताइए. सरकार कह रही है कि हमने ट्रेड के लिए नियम बना दिए लेकिन किसान ट्रेड करता ही नहीं.

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किसानों से ये भी अपील की गई है कि दिल्ली के इर्द-गिर्द जितने भी शहर हैं वहां के किसान 25 जनवरी तक अपने ट्रैक्टर के साथ दिल्ली पहुंचें, 26 जनवरी को देश के सभी राज्यों में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ परेड करेंगे.

उन्होंने कहा कि हमारी मांग स्पष्ट है. जब तक कानून वापस नहीं होते, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे. यह हम गारंटी देते हैं कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण चलेगा. हमने एक पत्ता भी नहीं तोड़ा ना किसी को तकलीफ दी. रजवाल ने कहा कि सरकार हठधर्मी में फंस गई है. सरकार को ईगो प्रॉब्लम है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान किसी न किसी नाके पर बैठे हैं. हर राज्य में किसान इसका विरोध कर रहे हैं. किसान नेता रजवाल ने कहा कि हम खेती का कॉर्पोरेटाइजेशन नहीं करने देंगे.

गुरुनाम सिंह ने कहा कि सरकार कह रही है कि किसानों ने अड़ियल रवैया अपनाया है. अगर लोगों को ऐसा लगता है कि किसान गलत कर रहे हैं तो बता दें कि 8 तारीख को अमित शाह के साथ हुई बैठक में ही पूछा था कि सरकार 23 फसलें खरीदेगी? तब अमित शाह ने हमसे कहा था कि नहीं. जब सरकार का खरीदने का इरादा नहीं है. देश को गुमराह कर रहे हैं कि हम एमएसपी देंगे और एमएसपी खत्म नहीं करेंगे. सरकार ने पूरे देश में एक कुंतल भी मक्का नहीं खरीदा.

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सरकार टालना चाहती है मसला

गुरुनाम सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का मतलब है न्यूनतम समर्थन करना लेकिन सरकार खुद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही. सरकार कमेटी बना कर मसले को टालना चाहती है लेकिन हम कमेटी नहीं चाहते. हमने कहा है कि कानून लाइए कि एमएसपी से कम कीमत पर कोई खरीद न करने पाए. सरकार कहती है कि इससे खजाने पर बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों के तीन लाख करोड़ एनपीए बन गए लेकिन किसानों की बात आती है तो सरकार बहाना बनाती है. एमएसपी न होने के चलते आज किसानों को तीन से चार लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

अब तक 50 से अधिक किसानों की गई जान

किसान नेता अशोक धवले ने कहा कि एक किसान ने सुसाइड नोट में सरकार को जिम्मेदार बताते हुए आत्महत्या कर ली. पिछले 38 दिनों के आंदोलन में 50 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. यह तीनों कानून किसी किसान संगठन ने मांगे नहीं, सरकार ने किसानों पर थोपे हैं. जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं ले लेती, तब तक यह आंदोलन खत्म नहीं होगा.

23 को मनाएंगे आजाद हिंद किसान दिवस

योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर 25 जनवरी तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो किसान दिल्ली में घुसकर गणतंत्र परेड करने पर मजबूर होंगे. उन्होंने लोगों से अपने ट्रैक्टर तैयार करने का आह्वान किया और कहा कि 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस मनाएंगे. राजभवन के बाहर धरने पर बैठेंगे. उन्होंने इस आंदोलन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यही भविष्य में खेती की दशा और किसानों की हैसियत तय करेगा.

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