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किसान आंदोलनः सिंघु बॉर्डर पर और बड़ा मंच बना, लंबी लड़ाई की तैयारी

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान नेताओं की मानें तो प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही थी, ऐसे में पुराना स्टेज छोटा पड़ रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए नया स्टेज बनाया गया है.

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पुराने से चार गुना बड़ा है नया मंच
पुराने से चार गुना बड़ा है नया मंच
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बढ़ रहे किसान, छोटा पड़ रहा था पुराना स्टेज
  • 30 दिसंबर को होनी है सरकार से बातचीत
  • किसान नेता मानकर चल रहे, लंबा चलेगा प्रदर्शन

केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठन कंपकंपाती सर्दी में भी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार ने किसानों को बातचीत का न्यौता दिया था. किसानों ने सरकार के न्यौते पर 29 दिसंबर को वार्ता का प्रस्ताव दिया था. अब सरकार ने 29 की बजाय 30 दिसंबर को वार्ता का प्रस्ताव दिया है, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन साथ ही प्रदर्शन को और बड़ा करने की तैयारी भी किसान कर रहे हैं. 

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किसान नेता 30 दिसंबर को सातवीं बार सरकार से तीन नए कृषि कानून वापस लेने के जहां एक तरफ बातचीत करेंगे तो वहीं दूसरी तरफ सिंघु बॉर्डर पर पुराने स्टेज की जगह उससे चार गुना बड़ा स्टेज भी बन गया है. प्रदर्शन में शामिल किसानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए किसान नेता इस स्टेज का इस्तेमाल भी करने लगे हैं. शाम को इस स्टेज का इस्तेमाल आध्यात्मिक प्रवचन और संगीत के लिए भी किया जाता है. 

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान नेताओं की मानें तो प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही थी, ऐसे में पुराना स्टेज छोटा पड़ रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए नया स्टेज बनाया गया है. किसान नेताओं के मुताबिक किसानों को इस बात का भी अंदाजा है कि 30 दिसंबर को होने जा रही बातचीत में कोई निष्कर्ष नहीं निकलेगा और ऐसे में प्रदर्शन लंबा चल सकता है.

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भारतीय किसान यूनियन (दोबा) के जनरल सेक्रेटेरी सतनाम सिंह साहनी के मुताबिक इस बार की बातचीत में किसान नेता एक बार फिर सरकार से तीनों कानून वापस लेने की मांग करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार इस बात को नहीं मानेगी तो यह प्रदर्शन ऐसे ही चलता रहेगा. गौरतलब है कि किसान नेता पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि यदि सरकार के साथ वार्ता विफल रही तो प्रदर्शन को और तेज किया जाएगा.

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