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किसान आंदोलनः वो 10 बड़े कमेंट जो सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर किए

चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने सख्त लहजे में केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई. जानिए इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कही गईं बड़ी बातें...

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कृषि कानून को लेकर हो रहे प्रदर्शन पर केंद्र के रवैये से सुप्रीम कोर्ट निराश है.(पीटीआई)
कृषि कानून को लेकर हो रहे प्रदर्शन पर केंद्र के रवैये से सुप्रीम कोर्ट निराश है.(पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोर्ट ने कहा- केंद्र सरकार के रवैेये से नाखुश
  • कमेटी बनाने का कोर्ट ने दिया सुझाव
  • वरिष्ठ नागरिकों को आंंदलोन में शामिल होने की जरूरत नहीं

कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. किसान आंदोलन से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने सख्त लहजे में केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई. जानिए इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कही गईं बड़ी बातें...

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सरकार के रवैये से नाखुश: सुप्रीम कोर्ट

किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी. चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?

आप कृषि कानून होल्ड करेंगे या हम करें?

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने अभी तक एक भी याचिका ऐसी नहीं आई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून किसानों के हित में है. सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की जरूरत की बात कही. कोर्ट ने कहा कि अगर समिति सुझाव देगी तो इस कानून पर रोक लगा देगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि सरकार कृषि कानूनों को होल्ड करेगी या हम करें?

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प्रदर्शन में शामिल ना हो वरिष्ठ नागरिक

सीजेआई ने कोर्ट में कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को प्रदर्शन में शामिल होने की जरूरत नहीं है. मुझे जोखिम लेने दें. प्रदर्शन कर रहे लोगों को बताएं कि भारत के मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि वे घर जाएं. किसानों को इस बात से अवगत कराना चाहिए.

हम आंदोलन खत्म नहीं करवाना चाहते...

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की तरफ से पेश वकीलों से कहा कि हम आंदोलन खत्म करवाना नहीं चाहते हैं लेकिन यह जानना चाहते हैं कि अगर इस कानून पर स्टे लग जाता है तो क्या आप लोग आंदोलन की जगह बदल देंगे?

कानून पर स्टे लगने से समझौते में होगी आसानी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा महज ये कह देने से कि नए कृषि कानून से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा, इससे मामले सुलझ नहीं जाएगा. कानून पर स्टे लगने से समझौते में आसानी होगी.

हम किसी को प्रदर्शन करने से रोक नहीं सकते

कोर्ट ने कहा कि हम किसी को प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकते हैं.हम चाहते हैं कि कमेटी उसका समाधान करे.हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में हैं.

हम हिंसा रोकना चाहते हैं...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि हम किसी भी कानून को तोड़ने वाले को प्रोटेक्ट करेंगे, कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के हिसाब से कारवाई होनी चाहिए. हम तो बस हिंसा होने से रोकना चाहते हैं.अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे. 

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किसानों के वकील से पूछा कमेटी के समक्ष नहीं जाएंगे?

CJI ने किसानों की तरफ से दलील पेश कर रहे वकील दवे से पूछा कि क्या आप कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के समक्ष नहीं जाएंगे? इस तरह का व्यवहार नहीं चलेगा कि आप सरकार के पास जाएंगे लेकिन हमारी द्वारा गठित कमेटी के पास नहीं. दवे ने कहा कि 400 किसानों का संगठन है उनसे बात करनी होगी.

SG को अर्जी दाखिल करने के लिए कहा

SG तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि 26 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन है. ऐसे में किसी भी रैली को लेकर इजाजत देना सही नहीं होगा. इस पर CJI ने कहा कि आप अर्जी दाखिल करें हम इस पर गौर करेंगे. CJI ने SG को कहा कि जिस तरह से चीजें चल रही हैं, उसे प्रभावी नहीं कहेंगे.

आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का ?

चीफ जस्टिस ने एसजी से कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं. हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं. 
 

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