तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ जंतर-मंतर पर चल रही किसान संसद (Kisan Sansad) सोमवार को खत्म हो गई. जंतर-मंतर पर किसानों की किसान संसद 22 जुलाई से ही चल रही थी. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
किसान एकता मोर्चा (Kisan Ekta Morcha) के ऑफिशियल पेज पर किसान नेता बूटा सिंह शादीपुर ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, केंद्र सरकार (central government) को किसानों से बात करनी चाहिए और जल्द से जल्दी तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक कानून रद्द नहीं होते, तब तक प्रदर्शन यूं ही जारी रहेगा.
15 अगस्त को तिरंगा रैली की तैयारी
नई दिल्ली के डीसीपी दीपक यादव ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जंतर-मंतर खाली कर दिया है. किसान संसद खत्म होने के बाद किसानों ने अब अपनी अगली रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) के अध्यक्ष जोगिंदर उग्राहां ने बताया कि अब 15 अगस्त पर देश भर में तिरंगा रैली करने की योजना है.
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तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान दिल्ली की सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर नवंबर 2020 से प्रदर्शन कर रहे हैं. संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) के साथ-साथ किसान संसद चलाने का मकसद सांसदों को किसानों की मांगों की ओर ध्यान दिलाना था.
सत्ता छोड़े बीजेपी..
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया इंचार्ज धर्मेंद्र मलिक ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ साल पहले आज ही के दिन (9 अगस्त को) भारतीयों ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को कहना था, आज हम बीजेपी (BJP) से सत्ता छोड़ने को कह रहे हैं."
उन्होंने कहा, "हम जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को और बढ़ाने की अनुमति नहीं ले रहे हैं, क्योंकि सरकार को कोई चिंता नहीं है. हम वापस दिल्ली बॉर्डर पर लौट जाएंगे, जहां मांगें पूरी नहीं होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा."