29 नवंबर से संसद का सत्र शुरू हो रहा है और इसी दिन किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालने का प्लान बनाया था. हालांकि, इस ट्रैक्टर रैली को अब टाल दिया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान किया था. इसके बाद भी किसान संगठन पीछे हटने को तैयार नहीं थे. कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों ने लखनऊ में महापंचायत की थी, लेकिन अब ट्रैक्टर रैली को टाल दिया गया है. इस पूरे घटनाक्रम को किसानों के भी नरम रुख के तौर पर देखा जा रहा है.
शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उसने 29 नवंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया है. हालांकि, किसान नेताओं ने ये भी कहा कि मार्च को टाला गया है, खत्म नहीं किया गया है. सरकार को चेतावनी देते हुए किसान नेताओं ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी पर अगर कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई तो 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.
क्या पीछे हट गए किसान?
- संसद तक ट्रैक्टर मार्च को टालाः 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया तो इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि वो 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली महापंचायत और 29 नवंबर को संसद तक होने वाले ट्रैक्टर मार्च को नहीं टालेगा. किसान मोर्चा ने लखनऊ में महापंचायत तो की, लेकिन अब ट्रैक्टर मार्च को टालने का फैसला लिया.
- सरकार से बातचीत करने को कहाः पिछले साल जब नवंबर में किसानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो सरकार ने बातचीत का न्योता दिया. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं मिला. इसके बाद हिरासत में रखे किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसानों ने बातचीत करने से इनकार कर दिया. लेकिन अब जब कृषि कानूनों की वापसी को कैबिनेट से भी मुहर लग गई है, तब किसान मोर्चा ने बाकी मुद्दों पर बातचीत की पेशकश की है.
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क्यों नरम पड़े किसान?
- कृषि कानूनों की वापसीः किसान एक साल से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे. सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को अब वापस लेने का फैसला ले लिया है. इसे कैबिनेट से भी मंजूरी मिल गई है और सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में कानून वापसी के बिल को पेश भी किया जाएगा.
- पराली जलाना अपराध नहींः केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को बताया कि कानून वापसी के अलावा पराली को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की किसानों की मांग को भी मान लिया गया है. उन्होंने एक बयान जारी कर बताया कि MSP समेत बाकी मांगों पर भी कमेटी के जरिए पूरा किया जाएगा.
तो क्या आंदोलन खत्म?
नहीं. किसान संगठन अभी आंदोलन को खत्म करने के मूड में नहीं है. सरकार की ओर से आंदोलन खत्म करने की अपील की गई है, लेकिन अब भी किसान इन 4 मांगों पर अड़े हुए हैं.
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी पर कानून बनाया जाए.
2. किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं और आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों की याद में स्मारक बनाया जाए.
3. विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक के ड्राफ्ट को वापस लिया जाए.
4. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए. अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में आरोपी हैं.
तो आगे क्या होगा?
अब 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी. इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. किसानों ने कहा है कि बाकी मुद्दे सुलझाने के लिए सरकार को बातचीत करनी चाहिए. हो सकता है कि आने वाले दिनों में फिर से किसान और सरकारों के बीच बात शुरू हो जाए.