सौ साल से भी ज्यादा पुरानी भारत की समृद्ध और विविधता पूर्ण फिल्म विरासत को बचाने, संरक्षित करने, पुनर्स्थापित करने और प्रदर्शित करने के असाधारण और निरंतर प्रयासों के लिए और फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन की 10वीं वर्षगांठ (2014-2024) पर भारतीय डाक विभाग आगामी 14 जून को मुंबई में एक विशेष डाक कवर और डाक टिकट जारी करने जा रहा है.
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने बताया कि यह विशेष डाक कवर और डाक टिकट 14 जून को मुंबई के वीटी जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) की खूबसूरत हेरिटेज बिल्डिंग में जारी किया जाएगा. इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल और फिल्म, संस्कृति और राजनीतिक दुनिया से जुड़ी कई हस्तियां मौजूद रहेंगी. यह विशेष डाक कवर एक फॉइल और उभरा हुआ अंकित है. कवर और 5 रुपये का डाक टिकट है, जिसपर फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर और फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा पुनर्बहाल की गई सेल्यूलॉइड फिल्म के संरक्षण का दृश्य दिखाया गया है.
पोस्ट ऑफिस के फिलेटली ब्यूरो में मिलेगा डाक टिकट
विशेष कवर का सीमित संस्करण मुंबई में जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) के फिलेटली ब्यूरो में उपलब्ध होगा. फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने कहा कि “जब मैं बच्चा था, तब से मैं डाक टिकट इकट्ठा करता था. पत्र लिखना पसंद करता था. डाकघर जाना पसंद करता था. यह मेरे नाना ने मुझे सिखाया था. वो लगभग 90 वर्ष की आयु तक प्रबुद्ध पत्र-लेखक थे. आज भी मैं पत्र लिखता हूं और पोस्ट करता हूं. जिस भी शहर और कस्बे में जाता हूं, वहां के डाकघरों में जाता हूं. इसलिए मुझे हमारी फिल्म विरासत को बचाने के लिए एक दशक से अधिक के हमारे काम की सराहना में फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष कवर जारी करने के बारे में मुख्य पोस्टमास्टर जनरल से एक पत्र प्राप्त करने का सम्मान मिला है.
शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने कहा, "मैं भारत सरकार के ऐसे डाक विभाग द्वारा हमारी फिल्म विरासत के महत्व को स्वीकार करने और विशेष कवर पर सेल्युलाइड को संरक्षित करने की चुनौतियों के चित्रण से अभिभूत हूं. मैं फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन की अपनी टीम की ओर से इस सम्मान को स्वीकार करूंगा, जिसने हमें भारत और उपमहाद्वीप में फिल्म संरक्षण को मानचित्र पर लाने और दुनिया भर में हमारी फिल्म विरासत की सुंदरता को पुनर्स्थापित करने और उसका जश्न मनाने में सक्षम बनाया है. मैं फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन को यह सम्मान देने के लिए चीफ पोस्टमास्टर जनरल किशन कुमार शर्मा और मुंबई के पोस्टमास्टर जनरल अमिताभ सिंह को धन्यवाद देना चाहता हूं.”
क्या है फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन?
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन 2014 में स्थापित मुंबई स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है. ये फाउंडेशन देश का एकमात्र गैर-सरकारी संगठन है जो फिल्म संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहा है. फाउंडेशन चलती हुई छवियों की मरम्मत, संरक्षण और पुनर्बहाली का असाधारण कार्य करने के साथ ही सिनेमा की भाषा के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए विषय कार्यक्रम विकसित करने के लिए समर्पित है. फाउंडेशन 2015 से इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म आर्काइव्स का हिस्सा है.
फाउंडेशन ने फिल्म सेल्युलाइड सहित लगभग 700 फिल्मों को संरक्षित करने का असाधारण कार्य किया है और फाउंडेशन के पास कैमरे, प्रोजेक्टर, पोस्टर, गीत पुस्तिकाएं, लॉबी कार्ड, किताबें, पत्रिकाएं आदि फिल्म से संबंधित यादगार वस्तुओं की लगभग 200,000 वस्तुओं का संग्रह है. फाउंडेशन के पास फिल्मों और फिल्म से संबंधित यादगार वस्तुओं के संरक्षण, फिल्म बहाली, प्रशिक्षण कार्यक्रम, बच्चों की कार्यशालाओं, मौखिक इतिहास परियोजनाओं, प्रदर्शनी और उत्सव क्यूरेशन और प्रकाशन से लेकर फिल्म संरक्षण गतिविधियों के व्यापक दायरे में फैले हुआ कार्य क्षेत्र हैं.
फाउंडेशन ने अपनी उत्कृष्टता के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जबरदस्त ख्याति अर्जित की है और अरविंदन गोविंदन की ‘कुम्माट्टी’ और ‘थम्प’, अरिबम श्याम शर्मा की ‘इशानु’ और श्याम बेनेगल की ‘मंथन’ सहित भारतीय सिनेमा की भूली-बिसरी फिल्मों को पुनर्स्थापित किया है. पुनर्स्थापित फिल्मों को दुनिया भर के ख्याति नाम समारोह, संग्रहालयों और विश्वविद्यालयों में दिखाया गया है. फाउंडेशन द्वारा पुनर्स्थापित ‘थम्प’, ‘इशानु’ और ‘मंथन’ को विश्व प्रसिद्ध कान्स फिल्म फेस्टिवल में लगातार 2022, 2023 और 2024 में रेड-कार्पेट वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया. पुनर्स्थापित ‘मंथन’ को हाल ही में भारत भर के 51 शहरों और 101 सिनेमाघरों में बड़े पर्दे पर पुनः रिलीज किया गया.
फाउंडेशन 2015 से पूरे भारत में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म आर्काइव्स के सहयोग से वार्षिक फिल्म संरक्षण कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है, जो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म आर्काइव्स के वैश्विक प्रशिक्षण और आउटरीच कार्यक्रम के लिए टेम्पलेट बन गए हैं. 2022 तक ये कार्यशालाएं भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और म्यांमार के आवेदकों के लिए खुली थीं, जबकि 2023 में होने वाली हालिया कार्यशाला दुनिया भर के प्रतिभागियों के लिए खुली थी. इन कार्यशालाओं ने पिछले कुछ वर्षों में करीब 400 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया है. फाउंडेशन ने भारत और एशिया उपमहाद्वीप में फिल्म संरक्षण के लिए एक आंदोलन बन कर फिल्म संग्रहकर्ताओं का एक विश्वव्यापी समुदाय बनाया है.