वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश किया. बजट में कई तरह के ऐलान किए गए. इसमें 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देने का भी वादा किया गया है. निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि सरकार 1 करोड़ युवाओं को 500 टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप देगी. इसको लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है. इस पर आजतक से खास बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विस्तार से बात की और कांग्रेस पर पलटवार किया.
दरअसल, विपक्ष दावा कर रहा है पीएम इंटर्नशिप प्रोग्राम के जरिए 1 करोड़ युवाओं को टॉप 500 कंपनियों में इंटर्नशिप देने का मतलब होगा हर कंपनी में 4 हजार युवाओं को इंटर्नशिप. ये कैसे मुमकिन होगा कि हर कंपनी 4 हजार युवाओं को इंटर्न रखे? साथ ही विपक्ष आलोचना कर रहा है कि नौकरी तो दे नहीं रहे हैं, सिर्फ इंटर्नशिप दे रहे हैं. ये कॉर्पोरेट अग्निवीर आप बना रहे हैं.
इन आरोपों के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि अप्रेंटिसशिप यानी इंटर्नशिप का हक हम देंगे, ये कहने वाले कौन हैं? कांग्रेस. मतलब युवाओं को गुमराह करने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान अप्रेंटिसशिप का हक देने के लिए आपने कहा. इसी लॉजिक के अनुसार आप जुमराह करने के लिए जॉब तो नहीं दे रहे थे लेकिन आप अप्रेंटिसशिप का हक दे रहे थे.
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इंटर्नशिप से युवाओं को होगा बड़ लाभ: वित्त मंत्री
उन्होंने कहा कि कंपनी की एक ही बिल्डिंग नहीं होती है. देश की टॉप 500 कंपनियां जो हैं, उनकी देश के बड़े-बड़े शहरों में कई प्लांट्स होते हैं. हम इंडस्ट्री के साथ बैठकर हर स्कीम को प्लान करते हैं. इसके बाद ही हमने ये ऐलान किया है. टॉप 500 कंपनियों का बहुत बड़ा टर्नओवर है और उनके तमाम दफ्तर हैं. कंपनियों में इंटर्न करने वाले युवाओं को पांच हजार महीना हम पैसे देंगे. कंपनियों को युवाओं को बस मौका देना है और उन्हें सिखाना है. युवाओं को जब मौका मिलेगा तो 12 महीने बाद उन्हें सर्टिफिकेट मिलेगा कि टॉप 500 कंपनियों से किसी एक में उन्होंने काम सीखा है. इसके बाद उन्हें नौकरी हासिल करने में बहुत बड़ा लाभ मिलेगा.
'नौकरी हैं लेकिन उनके लिए युवा तैयार नहीं'
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं उदाहरण के लिए बताती हूं कि कुछ दिनों पहले देश की बड़ी इंफ्रा कंपनी L&T के चीफ ने कहा कि 45 हजार नौकरी उनके पास हैं, लेकिन जॉब के लिए जो स्कील चाहिए, उसके लिए लायक युवा नहीं मिल रहे हैं. ऐसी ही स्कील्स के लिए हम युवाओं को तैयार कर रहे हैं. इंटर्नशिप होने के बाद इन युवाओं को तमाम कंपनियों में काम करने का मौका मिलेगा. उनके पास ये जानकारी होगी कि जो ट्रेनिंग उन्होंने ली है, उसके हिसाब से कौन सी कंपनी सही है.
सहयोगी दलों वाले राज्यों को तवज्जो देने पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?
आम बजट में एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी की सरकार वाले राज्य- बिहार और आंध्र प्रदेश को अधिक महत्व देने के आरोपों पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं बाकी राज्यों से ये पूछना चाहती हूं कि भारत देश में अगर एक राज्य ऐसा है, जिसकी आज तक उनकी राजधानी तक नहीं है तो क्या उनकी मदद करना गुनाह है? क्या यूपीए सरकार होती अगर आज तो आंध्र प्रदेश को इसके लिए इनकार करती? आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में हक दिया गया है आपकी एक राजधानी होनी चाहिए. उसके लिए केंद्र सरकार मदद करेगी. क्या यूपीए सरकार इसको नकारेगी? भारत में जो कानून विभाजन हुआ, उस राज्य में राजधानी नहीं होनी चाहिए क्या? ये लोग क्या तर्क रख रहे हैं? देश आगे बढ़ेगा या नहीं?
उन्होंने कहा कि मैंने सोचा कि इस चुनाव के द्वारा जैसे सरकार बनाने के लिए पार्टी को जनता द्वारा वोटों के जरिए चुना जाता है, उसी तरह इस बार सचमुच विपक्ष का भी चुनाव हुआ है. मतलब 50 सीटों के साथ आप शायद ताकत से संसद में मुद्दे नहीं रख पा रहे हो तो लो 40 और सीट. फिर भी जनता ने उन्हें 100 पार नहीं करने दिया. मजबूत विपक्ष का रोल आप निभाएंगे या सिर्फ नौटंकी ही करते रहेंगे?
यूपीए सरकार के बजट भाषणों को लेकर ये बोलीं निर्मला सीतारमण
दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई और महाराष्ट्र में नुकसान होने पर बदला लेने जैसे आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि ये गलत प्रचार है. कल जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जब बोल रहे थे तो मैंने उसका जवाब भी दिया. क्या कांग्रेस के समय पर बजट के भाषण में हर राज्य को देने वाली रकम और प्रोजेक्ट्स का जिक्र किया गया? मैं चैलेंज करती हूं उनके सभी भाषण निकालकर देखे जाएं. उनके भाषणों में जिन राज्यों का जिक्र नहीं था, क्या उनका बजट रोका गया? तब भी नहीं रोका गया और अब भी नहीं रोका गया. उनको (विपक्ष) सच्चाई नहीं बोलनी है. सिर्फ बेबुनियाद आरोप लगाने हैं. हम बिना नाम लिए ही सभी राज्यों में काम कर रहे हैं. जैसे वदावन पोर्ट महाराष्ट्र का जिक्र राज्यसभा में की थी, लेकिन राज्य का नाम वोट ऑन अकाउंट में नहीं लिया. तो इसका मतलब ये नहीं कि वहां काम नहीं होंगे. हम जब विपक्ष में बैठे थे तो कांग्रेस से ये कभी नहीं पूछा कि क्यों तमिलनाडु या जम्मू-कश्मीर का नाम नहीं आया. हम समझते थे कि पैसा जाएगा. अगर कोई इससे अहम मुद्दा हो तो प्रश्न पूछें. वो सवाल उठा रहे हैं कि हमारे राज्य के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब क्या है. ये देश हमारा नहीं है?
नीति आयोग की बैठक का विपक्षी पार्टियों द्वारा बहिष्कार किए जाने के ऐलान पर वित्त मंत्री ने कहा कि ये अच्छा मौका छोड़ रहे हैं. आकर बैठक में बैठो. नीति आयोग के चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मुद्दा उठाओ कि हमारे राज्य के लिए ये करना है. आप नीति आयोग से स्टडी कराइए और पैसा दो.