कर्नाटक के फेमस MUDA केस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत करने वाले RTI कार्यकर्ता के खिलाफ मैसूर में केस दर्ज किया गया है. RTI कार्यकर्ता का नाम स्नेहमयी कृष्णा है, जिसके खिलाफ नंजनगुड पुलिस स्टेशन में केस किया गया है.
स्नेहमयी कृष्णा के खिलाफ शिकायत लावण्या नाम की एक महिला ने दर्ज कराई है, जिसने आरोप लगाया है कि स्नेहमयी कृष्णा ने आरोपी दाबा जयकुमार के साथ मिलकर उस पर हमला करने की कोशिश की, उसे घसीटा, अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया और उसे जान से मारने की धमकी दी. शिकायत में लावण्या और उसकी मां को दी गई धमकियों का भी उल्लेख है.
क्यों किया गया है RTI कार्यकर्ता पर केस?
इसमें प्रभा और सिद्दप्पा को भी आरोपी बनाया गया है. पीड़िता लावण्या का आरोप है कि उन पर हमला तब किया गया, जब वह अपनी मां के साथ कोर्ट से लौट रही थीं. लावण्या का दावा है कि उत्पीड़न उनके दिवंगत पति के परिवार से मौत के बाद मिलने वाले पैसे और उनके गहनों को लेकर उपजा है, जिसमें स्नेहमयी कृष्णा कथित तौर पर उनके ससुराल वालों की ओर से काम कर रहे थे. लावण्या के पति का 2020 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
> बता दें कि बेंगलुरु के दो एक्टिविस्ट- प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और मैसूर के एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत के सामने शिकायत दर्ज करवाई थी.
> अलग-अलग शिकायतों में तीनों ने आरोप लगाया था कि सिद्धारमैया ने विजयनगर लेआउट के तीसरे और चौथे चरण में MUDA से जमीन हासिल करने के लिए कथित रूप से पद का दुरुपयोग किया था.
> इस शिकायत के आधार पर राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी. उन्होंने प्रिवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 17A और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के तहत केस चलाने का आदेश दिया था.
पर ये MUDA स्कैम क्या है?
जब सरकार किसी जमीन का अधिग्रहण करती है तो मुआवजे के तौर पर दूसरी जगह जमीन देती है. पूरा कथित MUDA स्कैम भी इसी से जुड़ा है. ये पूरा मामला सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मुआवजे के रूप में मिली 14 प्रीमियम साइट से जुड़ा है. ये प्लॉट मैसूर में हैं.
आरोप है कि सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती ने MUDA से गैरकानूनी तरीके से जमीन ली. दावा है कि इसमें 4 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.
जिस जमीन की यहां बात हो रही है वो केसारू गांव की 3.16 एकड़ का प्लॉट है. साल 2005 में इस जमीन को सिद्धारमैया के बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज को ट्रांसफर कर दिया गया था. दावा है कि मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2004 में सरकारी अफसरों और जाली दस्तावेजों की मदद से इस जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवा लिया था.