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शिवकाशी: 6000 करोड़ वाला पटाखा कारोबार जो अब हो गया ध्वस्त

तमिलनाडु का शिवकाशी देश में पटाखा निर्माण का सबसे बड़ा हब रहा है. कुछ साल पहले तक इस शिवकाशी में पटाखा कारोबार ही 6000 करोड़ रुपये का हुआ करता था. लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है. ये कारोबार लोगों के लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा है.

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शिवकाशी का पटाखा कारोबार
शिवकाशी का पटाखा कारोबार

तमिलनाडु का शिवकाशी देश में पटाखा निर्माण का सबसे बड़ा हब रहा है. कुछ साल पहले तक इस शिवकाशी में पटाखा कारोबार ही 6000 करोड़ रुपये का हुआ करता था. लेकिन अब जब कई राज्यों में पटाखों पर बैन लग चुका है, कई जगह सिर्फ ग्रीन पटाखों को मंजूरी दी गई है, स्थितियां तेजी से बदली हैं. हालात ऐसे बन गए हैं कि शिवकाशी में पटाखों की प्रोडक्शन में 40 फीसदी तक की कमी आ गई है.

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कैसे चौपट हो गया पटाखा कारोबार

एक बड़ी समस्या ये भी है कि ग्रीन पटाखे बनाने में जो केमिकल लगते हैं, वो भारत में आसानी से नहीं मिल रहे हैं. उन्हें बाहर से आयात करना पड़ रहा है, इस वजह से दाम पहले ही काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं. अयान फायरवर्क के मालिक जी अबिरुबन बताते हैं कि ग्रीन पटाखों में strontium nitrate का इस्तेमाल होता है. लेकिन ये केमिकल नमी खींचने का काम करता है, ऐसे में अगर बारिश हो जाती है तो वे तीन दिन तक पटाखे नहीं बना पाते हैं. दूसरी समस्या ये है कि strontium nitrate आसानी से भारत में नहीं मिल रहा है, इसे बाहर से आयात करना पड़ रहा है.

यहां ये जानना जरूरी है कि National Environmental Engineering Research Institute ने ही ये कहा था कि पटाखों में बैरियम की जगह strontium nitrate या potassium nitrate का इस्तेमाल किया जाए. असल में प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक डायरेक्टिव जारी किया था जिसके बाद NEERI ने ये सुझाव दिया और इस पर अमल भी हुआ. लेकिन इस समय देश में strontium nitrate आसानी से नहीं मिल रहा है, इस वजह से पहले से ही नुकसान में चल रहा पटाखा कारोबार और ज्यादा कमजोर होता जा रहा है.

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कई लोगों की चली गई नौकरी

इस समय क्योंकि पटाखा कारोबार नुकसान में चल रहा है, इस वजह से कई लोगों की नौकरी भी हाथ से गई है. लिमा फायरवर्क के मथान देवीदरन बताते हैं कि कई फैक्ट्रियां अभी भी ग्रीन क्रैकर नहीं बना पा रही हैं. मजदूरों की भी भारी कमी हो चुकी है, कई तो दूसरे फील्ड में नौकरी करने के लिए चले गए हैं. इसके ऊपर बेरियम पर बैन लगा दिया गया है, जिस वजह से 20 से 30 प्रतिशत पटाखे तो मैन्युफैक्चर ही नहीं हो पा रहे हैं.

अब पटाखा कारोबार को नुकसान तो हो रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी एकदम स्पष्ट है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगी हुई है.

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