भारत के लिए खुशखबरी है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अगले सप्ताह न्यूमोनिया रोग के लिए विकसित सबसे पहला स्वदेशी टीका लॉन्च कर सकते हैं. यानी कि इस लॉन्चिंग के बाद से यह टीका बाजार में उपलब्ध होगा. जाहिर है यह टीका सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने विकसित किया है.
सूत्रों के मुताबिक यह टीका मौजूदा समय में अन्य दो विदेशी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे टीकों के मुकाबले काफी सस्ता होगा. भारत के ड्रग रेगुलेटर यानी कि औषधि नियामक ने पुणे स्थित संस्थान से प्राप्त टीके के क्लिनिकल ट्रायल के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद जुलाई में ही टीका ‘न्यूमोकोकल पॉलीसैक्राइड कांजुगेट’ को बाजार में उतारने की अनुमति दे दी थी.
ज्यादा किफायती है यह टीका
सूत्रों ने बताया कि यह टीका फाइजर के एनवाईएसई पीएफई और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के एलएसई जीएसके के मुकाबले ज्यादा किफायती होगा. स्वास्थ्य मंत्री को लिखे एक पत्र में सीरम इंस्टीट्यूट में सरकार और नियामक मामलों के अवर निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने कहा, 'वोकल फॉर लोकल और दुनिया के लिए मेक इन इंडिया के तहत प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करना हमेशा से हमारा प्रयास रहा है.'
उन्होंने लिखा है, 'प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमने कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के दौरान भारत के पहले वैश्विक स्तरीय न्यूमोनिया टीके का विकास कर और उसके लिए भारतीय लाइसेंस लेकर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है.'
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले बताया था कि टीके के माध्यम से शिशुओं में 'स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिया' द्वारा होने वाली बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है. सीरम इंस्टीट्यूट ने टीके के पहले, दूसरे और तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल भारत और अफ्रीकी राष्ट्र गाम्बिया में किया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 'न्यूमोनिया के क्षेत्र में यह स्वदेश में विकसित पहला टीका है.'
न्यूमोनिया से प्रत्येक साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौतें
यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार, न्यूमोनिया के कारण भारत में हर साल शून्य से पांच वर्ष आयुवर्ग के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चूंकि न्यूमोनिया श्वसन संबंधी बीमारी है, ऐसे में कोविड-19 महामारी के दौरान न्यूमोनिया का टीका बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. सूत्रों ने बताया कि भारत फिलहाल न्यूमोनिया के टीके के लिए महंगी कीमत पर विदेशी कंपनियों से आयात पर निर्भर है. शरीर के ऊतक (मांस में) में लगने वाले इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन से जनवरी में ही मंजूरी मिल चुकी है.