नई संसद के उद्घाटन को लेकर सियासी बवाल जारी है. रविवार 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन की नई इमारत का उद्घाटन करेंगे. वैसे तो हमारे देश में सत्ता के खिलाफ जब कोई अविश्वास प्रस्ताव आता है, तब संसद के भीतर बहुमत जांचने के लिए शक्ति परीक्षण किया जाता है. लेकिन आज आपको उस शक्ति परीक्षण की दस्तक को समझना है, जो नई संसद के उद्घाटन से पहले ही हो रहा है, जिसे हमने नाम दिया है 'नई संसद पर फ्लोर टेस्ट'.
कारण, विपक्षी दल एकजुट होकर उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं. वहीं एनडीए में शामिल पार्टियों समेत करीब दो दर्जन दल कार्यक्रम में शामिल होने के न्योते को स्वीकर कर चुके हैं. आज हम आपको नई संसद पर फ्लोर टेस्ट के बारे में बता रहे हैं. इसमें ये देखना है कि बहिष्कार करने वाले ताकतवर हैं या उद्घाटन का समर्थन करने वाले.
दरअसल, संसद के दो सदन हैं. पहले नई संसद का लोकसभा पर फ्लोर टेस्ट करते हैं. अब तक के आंकड़े बताते हैं कि 376 सांसद यानी 68 फीसदी लोकसभा के सांसद नई संसद के उद्घाटन के समर्थन में हैं, जबकि विपक्ष के 168 लोकसभा सांसद यानी 31 प्रतिशत सांसद इसके उद्घाटन का बहिष्कार कर रहे हैं.
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नई संसद पर राज्यसभा का फ्लोर टेस्ट देखा जाए तो राज्यसभा के 131 सांसद यानी 55 फीसदी समर्थन में हैं और 104 राज्यसभा सांसद यानी 45 प्रतिशत विरोध कर रहे हैं.
25 पार्टियों को न्योता मंजूर
नई संसद पर अब देश के राज्यों में शासन के आधार पर फ्लोर टेस्ट किया जाए तो जो दल समर्थन में हैं, इनकी कुल 18 राज्यों में सरकार है. यानी साठ फीसदी राज्यों में समर्थन करने वाले दल शासन कर रहे हैं. वहीं 12 राज्यों में विरोधी दलों की सरकार है, यानी 40 फीसदी. जबकि दलों के आधार पर फ्लोर टेस्ट देखें तो 25 पार्टियों को न्योता मंजूर है और उद्घाटन का समर्थन कर रही हैं. वहीं कांग्रेस समेत 21 पार्टियां ऐसी हैं, जो उद्घाटन का बहिष्कार करेंगी. इन आंकड़ों पर गौर करें तो नई संसद के उद्घाटन पर विपक्ष की तरफ से पैदा किया जा रहा सियासी अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दल हारते दिख रहे हैं. वहीं सत्ता पक्ष नई संसद का फ्लोर टेस्ट समर्थन और बहिष्कार के पैमाने पर जीतता दिख रहा है.
उद्घाटन के कार्यक्रम पर एक नजर
संसद भवन के उद्घाटन का संभावित कार्यक्रम भी सामने आ चुका है. करीब 7 घंटे तक चलने वाले कार्यक्रम को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. हालांकि अभी अधिकारिक कार्यक्रम आना बाकी है. आइए बताते हैं उद्घाटन का पूरा कार्यक्रम-
- सुबह 7:30 से 8:30 बजे हवन और पूजा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन सहित कई मंत्री मौजूद रहेंगे.
- 8:30 से 9 बजे के बीच लोकसभा के अंदर सेंगोल को वैदिक रीति-रिवाज से स्थापित किया जाएगा. इसके लिए तमिलनाडु के मठ से 20 स्वामी मौजूद रहेंगे.
- 9 से 9:30 बजे प्रार्थना सभा आयोजित होगी. इसमें शंकराचार्य सहित कई बड़े विद्वान पंडित और साधु-संत मौजूद रहेंगे.
- दूसरा चरण दोपहर 12 बजे से राष्ट्रगान के साथ शुरू होगा.
- इस दौरान दो लघु फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी.
- इसके बाद डिप्टी चेयरमैन राज्यसभा हरिवंश नारायण सिंह, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति का संदेश पढ़ेंगे.
- राज्यसभा में नेता विपक्ष यानी मल्लिकार्जुन खड़गे का भी संबोधन होगा. वैसे तो खड़गे नेता विपक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन उनका इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है और वह अब भी पद पर बने हुए हैं. हालांकि कांग्रेस ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. ऐसे में विपक्ष नेता के संबोधन पर संशय बना हुआ है.
- लोकसभा स्पीकर का भी संबोधन होगा.
- इसके बाद सिक्के और स्टांप रिलीज किए जाएंगे.
- आखिरी में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन होगा और दोपहर 2:30 बजे कार्यक्रम का समापन होगा.
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सरकार बदलेगी तो नई संसद में दूसरा काम कराएंगे- जेडीयू
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि जब एक तरफ संसद के उद्घाटन का कार्यक्रम तय हो चुका है, तब विपक्षियों के मन में भारत की नई संसद को लेकर अलग ही कार्यक्रम चल रहा है. नीतीश कुमार की पार्टी कह रही है कि सरकार बदलेगी तो नई संसद में कुछ और काम कराएंगे. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने गुरुवार को कहा कि संसद भवन के जरिए इतिहास बदलने की कोशिश की जा रही है. हम इतिहास बदलने के भागीदार नहीं बनेंगे. संसद भवन अगर बना ही था तो राष्ट्रपति से उद्घाटन कराना चाहिए था. प्रधानमंत्री कौन होते हैं उद्घाटन करने वाले. इसके बाद उन्होंने एक बड़ा बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र में सरकार बदलेगी तो नए संसद भवन से दूसरा काम किया जाएगा.
9 साल में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध रहा विफल
बता दें कि 9 साल में देश में ऐसे दर्जन भर मौके आए हैं, जब विपक्ष ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट होकर विरोध किया. लेकिन कामयाबी नहीं मिली और विपक्ष सत्ता से मोदी सरकार को हटाने में विफल रहा. चाहे बात वैक्सीन से लेकर तीन कृषि कानून तक की हो या फिर अग्निवीर से लेकर ईडी-सीबीआई के छापों की. बात चाहे हिंडनबर्ग से लेकर पेगासस तक की हो या फिर ईवीएम से लेकर इलेक्शन तक. हर मोर्चे पर विरोध के बदले विपक्ष को कुछ खास हासिल नहीं हो सका.
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21 दल कर रहे कार्यक्रम का बहिष्कार
नई संसद के बहिष्कार और समर्थन के बीच शक्ति परीक्षण की इस सियासत में जीत कौन रहा है? इसके परिणाम के पार्ट-2 पर भी गौर करते हैं. दरअसल, कांग्रेस भले इस बात पर खुश हो कि 9 साल में पहली बार नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसी मुद्दे पर 21 दल विपक्षी मोर्चे में एकजुट होकर एक साथ आए हैं, लेकिन तब संसद के उद्घाटन के समर्थन में मोदी सरकार के साथ एकजुट होते दलों की अनदेखी करना आगे की राजनीति के लिए दिक्कत वाला होगा. कारण, विपक्षी दलों और नेताओं के कई चौंकाने वाले बयान भी सामने आए हैं, जिन्होंने सीधा न सही, लेकिन केंद्र सरकार का समर्थन किया है.
नवीन पटनायक ने भी किया समर्थन
अब सबसे अहम बात ये है कि कर्नाटक की जेडीएस और पंजाब के अकाली दल बादल का सरकार के समर्थन में आना सियासी सरप्राइज माना जा रहा है. 7 ऐसे दलों ने अब तक मोदी सरकार का समर्थन नई संसद को लेकर किया है, जो अभी एनडीए में शामिल नहीं हैं. आंध्र प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टी YSR कांग्रेस और टीडीपी ने भी खुलकर नई संसद के उद्घाटन का समर्थन किया है. दोनों दलों ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. वहीं ओडिशा की नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने भी समर्थन किया है.
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इन पार्टियों पर सस्पेंस बरकरार
मायावती की पार्टी ने सीधे बहिष्कार करने वाले दलों को गलत कहा है. सरकार को उद्घाटन के अधिकार की बात मायावती ने कही है. यानी बीएसपी ने समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर इसका ऐलान नहीं किया है और इस पर अभी भी सस्पेंड बरकरार है. वहीं गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी गठबंधन की सुगबुगाहट को जन्म देने वाली केसीआर की पार्टी बीआरएस अब तक फैसला ही नहीं कर पाई है कि बहिष्कार में जाना है या उद्घाटन समारोह का समर्थन करना है.
1200 करोड़ में बनकर तैयार हुई नई संसद
पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये आंकी गई थी. हालांकि बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. चार मंजिला संसद भवन में 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.
ये है नई संसद की खासियत
तिकोने आकार में बना नया संसद भवन चार मंजिला है. ये पूरा कैम्पस 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है. इसमें एक संविधान हॉल भी होगा, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की विरासत को दिखाया जाएगा. इसके अलावा, इस संसद में संसद सदस्यों के लिए लाउंज, कई सारे कमेटी रूम, डायनिंग एरिया और पार्किंग स्पेस होगा. संसद भवन के तीन मेन गेट- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार होंगे. वीआईपी, सांसदों और विजिटर्स की एंट्री अलग-अलग गेट से होगी. नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है. अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है तो एक समय में इसमें 1,280 सांसद बैठ सकेंगे. संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की व्यवस्था है.