विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में यूक्रेन की स्थिति पर बयीन देते हुए कहा कि ऑपरेशन गंगा के तहत 22,500 भारतीयों को भारत वापस लाया गया. इस बीच सरकार ने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन भारत अपने नागरिकों को वापस लाने में सफल रहा.
सबसे बड़ी चुनौती अपने नागरिकों को बचाना था
उन्होंने कहा कि 22,500 भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से भारत लाया गया है. 24 फरवरी को रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ा, जिसके बाद से वहां की स्थितियां चुनौतीपूर्ण हो गई थीं. वहां रहने वाले 20 हजार से ज़्यादा भारतीय सीधे खतरे में थे. हम इस स्थिति से निपटने के लिए वैश्विक रूप से यूएन सिक्योरिटी काउंसिल से जुड़े हुए थे. हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने नागरिकों को बचाना था और यह सुनिश्चित करना था कि उन्हें कोई नुक्सान न हो. इसके लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया. यह चलते युद्ध के बीच, अपने लोगों को निकालने का एक बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था.
प्रधानमंत्री हर रोज़ बैठकें कर रहे थे
पूरी प्रक्रीया में सरकार बराबर नजर रख रही थी. प्रधानमंत्री खुद भी हर रोज़ बैठकें कर रहे थे. देश मंत्रालय ऑपरेशन गांगा पर 24 घंटे नजर रखे हए था. हमें सभी मंत्रालयों का पूरा सहयोग मिला, खासकर एविएशन मिनिस्ट्री और रक्षा मंत्रालय का. राज्य सरकारों के साथ भी समन्वय बनाया गया, ताकि यूक्रेन से लाए गए छात्रों को अलग-अलग राज्यों में उनके घरों तक सही सलामत पहुंचाया जा सके.
उन्होंने कहा कि आधे से ज़्यादा छात्र पूर्वी यूक्रेन की युनिवर्सिटी में थे जो रूस की सीमा से लगी हैं और संघर्ष का केंद्र रहे हैं. भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 छात्र हैं, जो केरल, यूपी, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान से थे.
पहली एडवाइज़री 15 फरवरी 2022 को जारी की गई
उन्होंने आगे कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने जनवरी 2022 से भारतीय नागरिकों के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया था, जिसमें 20 हजार भारतीयों ने पंजीकरण कराया था, इनमें ज़्यादातर भारतीय छात्र थे जो वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. दूतावास ने 15 फरवरी 2022 को एक एडवाइज़री जारी की थी जिसमें सलाह दी गई थी कि जिनका भी यूक्रेन में रुकना ज़रूरी न हो वो थोड़े दिनों के लिए देश छोड़ दें. साथ ही, यूक्रेन की यात्रा न करने की भी सलाह दी गई थी.
Further advisories were also given on 20th & 22nd Feb. Air bubble instructions then imposed were immediately lifted in consultation with Ukrainian side to increase number of direct flights. Around 4000 Indians departed from Ukraine by direct/indirect flights till 23rd Feb: EAM pic.twitter.com/ttQy3HU5vF
— ANI (@ANI) March 15, 2022
पढ़ाई प्रभावित होगी, इसलिए यूक्रेन से नहीं निकले छात्र
छात्रों को यूक्रेन छोड़ देने के लिए एडवाइज़री 20 और 22 फरवरी को भी जारी की गई थी. उसके बाद 23 फरवरी तक करीब 4000 भारतीय यूक्रेन से निकल गए थे. हमारे प्रयासों के बावजूद भी छात्रों ने यूक्रेन में रहना चुना. क्योंकि उनपर भी दबाव था कि वो वहां से जाएंगे, तो उनकी पढ़ाई में व्यवधान होगा. कुछ युनिवर्सिटी ने ऑनलाइन पढ़ाई कराने से भी साफ इनकार कर दिया था. इस बीच सही से खबरें न मिलने और राजनीतिक संकेत भी कन्फ्यूज़ करने वाले थे. ऐसे में करीब 18 हजार भारतीय नागरिक यूक्रेन में फंस गए, तब तक युद्ध शुरू हो चुका था.
पश्चिमी देशों के ज़रिए भारत लाए गए थे छात्र
मंत्रालय ने इस गंभीर परिस्थितियों से अपने नागरिकों का निकालने के लिए मिशन की शुरुआत की. रूस के अधिकारियों से बात की गई और यहां छात्रों और भारत में उनके परिवार से सीधे संपर्क में रहे. विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीयों को पश्चिमी देशों के ज़रिए भारत लाया गया था. ये देश थे पोलैंड, स्लोवाक रिपब्लिक, हंगरी, रोमानिया और मालडोवा. ऐसा इसलिए क्योंकि यूक्रेन एयर स्पेस को बंद कर दिया गया था. इन देशों में भारतीय दूतावासों की मदद से टीम बनाई गईं, ताकि भारतीयों को वहां से भारत भेजा जा सके. 47 MEA अधिकारियों को इस काम के लिए वहां भेजा गया था. इन अधिकारियों ने विपरीत परिस्थितियों में वहां भारतीय लोगों का सुरक्षित होना सुनिश्चित किया. इनके प्रयासों से वहां से भारतीयों को लाना सुगम बना.
ऑपरेशन गंगा के तहत 90 फ्लाइट चलाई गई थीं
विदेश मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन गंगा के तहत 90 फ्लाइट चलाई गई थीं, जिनमें 76 सिविलियन फ्लाइट्स थीं और 14 भारतीय वायु सेना की उड़ानें थीं. इस दौरान प्रधानमंत्री ने रीस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से समय समय पर बात भी की. उन्होंने खारकीव और सुमी से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी को सुनिश्चत किया. इसके अलावा पीएम मोदी ने बाकी पांचों देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बात कि ताकि वे भी इस मामले में सहयोग दे सकें. हम इन देशों को धन्यवाद देते हैं कि इन्होंने हमारे लोगों के लिए अपने दरवाजे खोले.
नवीन शेखरप्पा के पार्थिव शरीर को लाने के प्रयास जारी
इस प्रोसेस में केंद्रीय मंत्रियों को भेजा गया था. इनके सुपरविज़न से काम आसानी से हुआ. सुमी से लोगों को बाहर निकालना सबसे ज़्यादा चुनौतिपूर्ण था.
Sumy evacuation was extremely complex as our students faced the prospect of being caught in crossfire. Their evacuation from the city needed a credible ceasefire. This finally materialised due to the personal intervention of PM himself with the Presidents of Ukraine & Russia: EAM pic.twitter.com/tJeu7UU8vB
— ANI (@ANI) March 15, 2022
उन्होंने यह भी बताया कि इसी बीच यूक्रेन को मानवीय सहायता भी भेजी गई. उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के दौरान मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की असमय मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जब वह बाहर कुछ सामान लेने के लिए निकले थे, तब उनकी मौत हो गई थी. उनका पार्थिव शरीर भारत लाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक और नागरिक हरजोतत सिंह को भी गोली लगी थीं, जिनके स्वास्थ्य पर सरकार पूरा ध्यान दे रही है, उन्हें भारतीय वायुसेना की मदद से भारत लाया गया है.