तवांग में चीन की सेना के साथ हुई झड़प के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ड्रैगन (CHINA) को दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एकतरफा बदलाव संभव नहीं है.
चीन पर राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी (राहुल) टिप्पणी विश्वसनीय नहीं है. सैनिकों को सीमा पर जाने का आदेश राहुल ने नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री ने दिया है. हम चीन को एकतरफा एलएसी में बदलाव नहीं करने देंगे.
ये बातें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इंडिया टुडे के इंडो-जापान कॉन्क्लेव (Indo-Japan Conclave) में कहीं. जापान के साथ भारत के रिश्तों पर एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच कभी नकारात्मक रिश्तों का कोई इतिहास नहीं रहा.
एस जयशंकर से जब पूछा गया कि समय के साथ-साथ दोंनों देशों के रिश्तों में क्या बदलाव आया तो उन्होंने कहा, 'जापान ने रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ भारत से संपर्क करना शुरू किया. इसकी श्रेय पूरी तरह से जापान के पूर्व PM शिंजो आबे को जाता है. उन्होंने परंपरा से आगे बढ़कर काम किया. शिंजो आबे ने वैश्विक तौर पर जापान का दायरा आगे बढ़ाया. उनका मानना था कि जापान को और अधिक मित्रों की जरूरत है और भारत, जापान की इस जरूरत में फिट बैठा.'
विदेश मंत्री ने कहा कि वक्त के साथ-साथ जापान के निवेश में बढ़ोतरी देखी गई. भारत में होने वाला जापान का निवेश चीन या आसियान देशों में होने वाले उनके निवेश से अलग है. चीन में होने वाला उनका निवेश उत्पादों के रूप में वापस चला जाता है, लेकिन भारत में होने वाले निवेश को लेकर ऐसा नहीं है.
विदेश मंत्री ने कहा कि जापान ने बदलते वक्त के साथ खुद को तेजी से बदला है. लेकिन इस बदलाव के साथ जापान ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी जीवित रखा है. जापान ने दुनिया के सामने आधुनिकता और पारंपरिकता के सामंजस्य का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है.
भारत और जापान का रिश्ता पूरी तरह से द्विपक्षीय है. दोनों देशों के संबंध अर्थव्यवस्था और विकास पर केंद्रित हैं. इन संबंधों पर वैश्विक रणनीति का असर काफी सीमित है. 90 के दशक में शीत युद्ध के खत्म होने पर दोनों देशों के बीच संभावनाओं के द्वार खुल गए.
Quad ग्रुप पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि Quad का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. पाकिस्तान पर बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि PAK से हमें ज्यादा उम्मीदें कभी नहीं रहीं.