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लद्दाख में चीन से तनाव, विदेश सचिव बोले- 40 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ

लद्दाख में चीन से झड़प पर विदेश सचिव ने कहा कि 1962 के बाद से हमारे सामने इस तरह की स्थिति कभी नहीं रही. हमने पहली बार अपने जवानों को खोया है, जो पिछले 40 वर्षों में कभी नहीं हुआ.

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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (फोटो-ANI)
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (फोटो-ANI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 40 साल में पहली बार भारतीय जवान शहीद हुए
  • क्षेत्रीय अखंडता में कोई समझौता नहीं होगा
  • हम हमेशा बात करने के लिए तैयार हैं

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर तनाव बना हुआ है. इस बीच, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि यह एक ऐसी स्थिति है जो पिछले 40 सालों में कभी नहीं बनी. उन्होंने कहा कि ये यह एक अभूतपूर्व स्थिति है. 1962 के बाद से हमारे सामने इस तरह की स्थिति कभी नहीं रही. हमने पहली बार अपने जवानों को खोया है, जो पिछले 40 वर्षों में कभी नहीं हुआ.

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एक कार्यक्रम में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर बात करते हुए हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता में कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जहां तक हमारा रिश्ता है, हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में कोई समझौता नहीं होगा. मगर एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में, हम हमेशा बात करने के लिए तैयार हैं. हमारी संचार लाइनें खुली हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमारे सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक हमारे व्यवसाय सामान्य रूप से नहीं चल सकते. इससे सामान्य द्विपक्षीय संबंध प्रभावित होंगे.  

हर्ष वी. श्रृंगला ने कहा, 'हम अपनी क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध हैं और नहीं डिगेंगे. हम दृढ़ और संकल्पबद्ध रहेंगे. साथ ही हम लंबित मुद्दों का बातचीत से समाधान निकालने के लिये तैयार हैं.' विदेश सचिव ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस संकट की घड़ी में भी भारत, चीन के साथ संवाद और संपर्क बनाए हुए है. 

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भारतीय विदेश मामलों की परिषद (ICWA) की ओर से आयोजित वेबिनार में विदेश सचिव ने कहा कि महामारी हमें संपर्क बनाए रखने से नहीं रोक सकी. हमने डिजिटल माध्यम का उपयोग इस्तेमाल, हमने टेलीफोन का उपयोग किया, हमने नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधे राजनयिक संपर्क का उपयोग किया और हम एक दूसरे से इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं.

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में तनाव तब और बढ़ गया था पैंगोंग झील इलाके में चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जे का असफल प्रयास किया. वह भी तब जब दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य बातचीच के जरिये विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

 

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