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बंगाल हिंसा की जांच के लिए SIT गठित करने की मांग, पूर्व अधिकारियों का राष्ट्रपति को ज्ञापन

राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि चूंकि पश्चिम बंगाल एक बॉर्डर स्टेट है इसलिए मामलों को एनआईए को सौंप दिया जाना चाहिए ताकि देश की संस्कृति और एकता पर देश विरोधी हमले की छानबीन हो सके

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ज्ञापन देने वालों में IAS-IPS, सेना के पूर्व अधिकारी
  • SIT के गठन के साथ, NIA की जांच की भी मांग
  • हिंसा पीड़ितों के लिए एक रिलीफ पैकेज की अपील

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी पर आरोप लगता रहा है कि बंगाल चुनाव परिणामों के बाद बंगाल में बड़े स्तर पर हिंसा की गई है. विपक्ष खासकर भाजपा की तरफ से आरोप लगाया जाता है कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं को चुन चुन कर निशाना बनाया है. इसी कड़ी में अब पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों का एक ग्रुप भी जुड़ गया है.

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पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के एक समूह ने पश्चिम बंगाल की चुनाव बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन दिया है. इसमें हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक एसआईटी बनाने की मांग की गई है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और तुरंत न्याय मिल सके.

यह भी कहा गया है कि चूंकि पश्चिम बंगाल एक बॉर्डर स्टेट है इसलिए मामलों को एनआईए को सौंप दिया जाना चाहिए ताकि देश की संस्कृति और एकता पर देश विरोधी हमले की छानबीन हो सके. ज्ञापन देने वालों में पूर्व जज, पूर्व आईएएस-आईपीएस अधिकारी, एंबेसडर और सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर चुनाव बाद हिंसा हुई थी. इसमें हत्या, बलात्कार और लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना शामिल है. इस हिंसा के 15 हजार मामलों की रिपोर्ट आई है जिनमें एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए. 23 में से 16 जिलों में हुई इस हिंसा के कारण 4-5 हजार लोग असम, झारखंड और ओडिशा पलायन कर गए. इन हिंसा पीड़ितों के लिए एक रिलीफ पैकेज की घोषणा होनी चाहिए

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ज्ञापन में पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग हिंसा का शिकार बने. धार्मिक आस्था के केंद्रों को भी नुकसान पहुंचाया गया. कई मामलों में तो शिकायत तक दर्ज नहीं हुई है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक एसआईटी का गठन करके मामले की निष्पक्ष जांच की जाए.

 

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