मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दायर एक आवेदन पर यहां की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ प्रोक्लेमेशन (उद्घोषणा) जारी किया है. चोकसी 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला केस में नीरव मोदी के साथ सह-आरोपी है. पीएनबी घोटाले में नाम आने के बाद ईओडब्ल्यू ने चोकसी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था.
मुंबई स्थित कंपनी लक्ष्मी इंफ्रा डेवलपर्स लिमिटेड ने 2019 में मुनबाई पुलिस थाने में मेहुल चोकसी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप यह था कि मेहुल चोकसी ने देश से भागने से 15 दिन पहले अपना रियल एस्टेट प्रोजेक्ट शिकायतकर्ता कंपनी को बेच दिया था. पीएनबी घोटाले की जांच कर रही एजेंसी ने चोकसी के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को नाजायज तरीकों से अर्जित की गई संपत्ति माना था और इसे कुर्क कर दिया था.
ईओडब्ल्यू ने एस्प्लेनेड मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष अक्टूबर 2021 में प्रोक्लेमेशन के लिए यह आवेदन दायर किया था. बाद में कोर्ट ने मेहुल चोकसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया था. हालांकि जब वह एनबीडब्ल्यू जारी होने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुआ, तो प्रोक्लेमेशन जारी करने की प्रक्रिया शुरू हुई. प्रोक्लेमेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अदालत किसी व्यक्ति को आगे आकर अपनी बात रखने के लिए लगभग 30 दिन का समय देती है. यदि वह व्यक्ति अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट नहीं आता, तो उसे अपराधी घोषित कर दिया जाता है और संपत्ति जब्त कर ली जाती है.
मुंबई पुलिस के अलावा, सीबीआई ने भी अक्टूबर 2019 में मेहुल चोकसी को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी. हालांकि, याचिका अब भी एक विशेष अदालत में सुनवाई के लिए लंबित है. पीएनबी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की जांच करने वाली ईडी ने भी अगस्त 2019 में चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग की थी. हालांकि, जांच एजेंसियों की कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और याचिका पिछले साल तक लंबित रही. पिछले साल सितंबर में ही उच्च न्यायालय ने मेहुल चोकसी की याचिका खारिज कर दी थी और आवेदन पर अब विशेष अदालत में सुनवाई हो रही है.