उद्योगपति गौतम अडानी सिर्फ अपनी नेट वर्थ या कह लीजिए निवेशों की वजह से चर्चा में नहीं रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी उनका नाम कई मौकों पर जोड़ा जाता है. साल 2014 के बाद से तो विपक्ष ने कई मौकों पर आरोप लगाया है कि गौतम अडानी पर पीएम मोदी मेहरबान हैं. हर बड़ा प्रोजेक्ट उन्हें ही दिया जा रहा है. अब इन तमाम सवालों पर पहली बार गौतम अडानी ने आजतक से बात की है. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि उनकी सफलता कोई एक सरकार की वजह से नहीं है, बल्कि कई सरकारों का इसमें योगदान रहा है.
आलोचकों को गौतम अडानी ने क्या जवाब दिया?
इंडिया टुडे समूह के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग), राज चेंगप्पा से बातचीत के दौरान गौतम अडानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैं एक ही प्रदेश से आते हैं, इसलिए मुझपर ऐसे निराधार आरोप लगाना आसान हो जाता है. मैं अपने औद्योगिक सफर को चार भागों में बांट सकता हूं. कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरा सफर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब शुरू हुआ, जब उन्होंने एग्ज़िम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL लिस्ट में आई. इससे मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ. अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती. दूसरा मौका 1991 में आया जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए.
वे आगे कहते हैं कि मेरे साथ बहुत लोगों को इसका फायदा हुआ. इस बारे में पहले ही बहुत लिखा जा चुका है. तीसरा मौका 1995 में आया जब केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने. तब तक सिर्फ मुंबई से दिल्ली तक का एनएच-8 ही विकसित हुआ था. उनकी दूरदर्शिता और पॉलिसी के बदलाव से मुझे मुंडरा पर अपना पहला पोर्ट बनाने का मौका मिला. चौथा मौका 2001 में आया जब गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास की दिशा दिखाई. उनकी नीतियों से गुजरात में आर्थिक बदलाव के साथ अविकसित क्षेत्रों का भी विकास हुआ. उससे उद्योग और रोज़गार का विकास हुआ. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वही चीज़ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं. दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे खिलाफ ऐसा बोला जाता है. ये सब निराधार है और हमारी प्रगति के खिलाफ पक्षपात है. सच तो ये है कि हमारी सफलता किसी एक की वजह से नहीं पर तीन दशकों में कई सरकारों की नीति बदलाव की वजह से है.
सफलता के पीछे क्या राज?
अब इस सवाल पर तो अडानी की तरफ से दो टूक जवाब दिया ही गया, जब उनसे उनकी सफलता को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने संक्षिप्त में कहा कि Gautam Adani लोकतांत्रिक भारत की उपज है और हार मान लेना कभी भी अडानी संस्कृति (Adani Culture) का हिस्सा नहीं रहा है. अब अडानी ने अपार सफलता तो हासिल की ही है, साल 2022 तो उनके लिए कई मायनों में खास रहा है. गौतम अडानी से जब पूछा गया कि उनके लिए साल 2022 का कैसा रहा, इस पर उन्होंने कहा कि 2022 कई वजहों से खास था. हमारा अडानी विल्मर का IPO सफल रहा और इसके साथ अडानी विल्मर हमारे समूह की सातवीं लिस्टेड कंपनी बन गई है.
उन्होंने कहा कि वो एक प्लान के तहत काम करते हैं. पहले बिजनेस मॉडल के तहत कंपनी को शुरू करते हैं, फिर कंपनी को मुनाफे के लायक बनाते हैं, और तब जाकर उसे शेयर बाजार में लिस्ट कराते हैं. ये आईपीओ भी उसी का उदाहरण है.
जानकारी के लिए बता दें कि आज देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के टाइकून कहे जाने वाले 60 वर्षीय गौतम अडानी को सिर्फ 16 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आजमाने के लिए मुंबई जाना पड़ा था. साल 1978 में वह मुंबई गए और हीरे का कारोबार शुरू किया, लेकिन करीब तीन साल बाद 1981 में वह गुजरात वापस लौट गए और अपने भाई की प्लास्टिक की फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया.