अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को स्वीकार करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. SC ने केंद्र सरकार से कहा कि हम इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं.
CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने अडानी- हिंडनबर्ग केस की सुनवाई की. इस दौरान बेंच ने निवेशकों के हितों में "पूर्ण पारदर्शिता" बनाए रखने की वकालत करते हुए कहा कि वह बंद लिफाफे में केंद्र के सुझाव को स्वीकार नहीं करेगी.
दरअसल, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की ओर से केंद्र सरकार के सुझावों वाला सीलबंद लिफाफा बेंच को सौंपा गया था. लेकिन बेंच ने कहा कि हम आपके द्वारा सीलबंद कवर सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम पूरी पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं.
इस मामले पर पिछली सुनवाई 10 फरवरी को हुई थी, जिसमें SC ने अडानी ग्रुप के स्टॉक के मामले में भारतीय निवेशकों के हितों को सर्वोपरि रखा था. इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को भी न्यायाधीशों द्वारा गठित समिति पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और किसी को भी पैनल की योग्यता पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम निवेशकों की सुरक्षा के लिए पूरी पारदर्शिता चाहते हैं. लिहाजा निवेशकों के साथ पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हम अपनी खुद की एक समिति नियुक्त करेंगे.
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि न्यायाधीशों द्वारा एक समिति बनाई जाएगी और इसमें केंद्र द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा. अदालत ने कहा कि केंद्र या याचिकाकर्ताओं के किसी भी सुझाव पर विचार नहीं किया जाएगा.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम सीलबंद लिफाफे में दिए गए सुझाव नहीं चाहते हैं. हम सरकार द्वारा नियुक्त समिति नहीं चाहते हैं. बेंच ने कहा कि निवेशकों और आम जनता के बीच विश्वास की भावना होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सभी हितधारकों को समिति के साथ सहयोग करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि SC के सिटिंग जज को कमेटी का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि बेंच के तीन जस्टिस कमेटी के गठन पर चर्चा करेंगे और आदेश पारित करेंगे. अदालत ने सभी हितधारकों को समिति के साथ सहयोग करने के लिए भी कहा और कहा कि वह पक्षपात के संबंध में कोई आरोप नहीं चाहती है.
क्या मामला क्या है?
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में लगा हुआ है. अपने जवाब में अडानी समूह ने हिंडनबर्ग पर कॉपी-पेस्ट करने का आरोप लगाया था. समूह ने कहा था कि या तो हिंडनबर्ग ने सही तरीके से रिसर्च नहीं किया है या फिर जनता को गुमराह करने के लिए उसने गलत तथ्य पेश किए हैं. 400 से अधिक पन्नों की प्रतिक्रिया में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह ने सभी आरोपों को भ्रामक बताया था.
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