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गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा में PAK प्रांत बनने का प्रस्ताव पारित, भारत ने किया विरोध

प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली सरकार ने संघीय सरकार से मांग की है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का नेशनल असेंबली, सीनेट और संघीय संस्थानों में प्रतिनिधित्व आवंटित किया जाए. इस प्रस्ताव को गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद खान ने आगे बढ़ाया.

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गिलगित-बाल्टिस्तान में इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार (फाइल-एपी)
गिलगित-बाल्टिस्तान में इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार (फाइल-एपी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गिलगित-बाल्टिस्तान में इमरान की पार्टी PTI की सरकार
  • राज्य सरकार के साथ विपक्षी दलों का भी प्रस्ताव को समर्थन
  • भारत ने प्रस्ताव पर कहा-यह अवैध कब्जे की कोशिश

गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा ने आज मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर क्षेत्र के लिए प्रांतीय स्थिति दिए जाने की मांग की. हालांकि भारत ने प्रांतीय स्थिति दिए जाने की मांग पर कड़ा विरोध जताया है. पाकिस्तान ने पिछले साल गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने का ऐलान किया था. 

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प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली सरकार ने संघीय सरकार से मांग की है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का नेशनल असेंबली, सीनेट और संघीय संस्थानों में प्रतिनिधित्व आवंटित किया जाए. इस प्रस्ताव को गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद खान ने आगे बढ़ाया.

खबरों के मुताबिक, मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद के साथ विपक्षी दलों के नेता पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अमजद हुसैन, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रतिनिधि गुलाम मुहम्मद, मजलिस वहदातुल मुस्लिमीन (MWM) के सदस्य मुहम्मद काजिम और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (JUI-F) के नेता रहमत खलीक की ओर से प्रस्ताव को पेश किया गया. 

संघीय सरकार और संस्थानों में प्रतिनिधित्व की मांग के अलावा, इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का प्रांत घोषित करने के लिए पाकिस्तान के संविधान में संशोधन के लिए एक विधेयक संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को भी ध्यान में रख जाए. 

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मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों की मांग गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की सर्वसम्मत मांग है, न कि किसी व्यक्ति या पार्टी की. इस मुद्दे पर हमने जो एकता दिखाई है, उसे संघीय स्तर पर फिर से दोहराने की जरूरत है. 

हालांकि भारत की ओर से पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में शामिल करने के मुद्दे को पहले ही खारिज कर दिया गया है.

पिछले साल नवंबर में भारत ने पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान के गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने का ऐलान किए जाने का विरोध जताया. तब विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान द्वारा अवैध और जबरन कब्जे के तहत भारतीय क्षेत्र के हिस्से में भौतिक परिवर्तन लाने के प्रयास को दृढ़ता से अस्वीकार करती है और पाक इन अवैध कब्जे को तत्काल खाली करे.  

विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तान के अवैध और जबरन कब्जे के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा दिए जाने का विरोध करती है. उन्होंने कहा कि 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत संघ में वैध और पूर्ण विलय की वजह से पाक सरकार का जबरन कब्जाए गए क्षेत्र पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. पाक की ओर से इस तरह के प्रयास से पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र (PoK) में रह रहे लोगों के साथ पिछले सात दशक से मानवाधिकारों के उल्लंघन और आजादी से वंचित रखने को छिपाया नहीं जा सकता.

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पाकिस्तान की अवैध कब्जे की कोशिशः MEA
पाकिस्तान की इस हरकत पर विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान सरकार के पास अवैध रूप से और जबरन कब्जे वाले क्षेत्रों पर कोई अधिस्थिति नहीं है. पाकिस्तान की ओर से इस तरह की कोशिशों से, अवैध कब्जे के उसके इरादे और इस पाक अधिकृत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सात दशकों से अधिक समय से आजादी से वंचित रखने और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन को छुपाया नहीं जा सकता.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन भारतीय क्षेत्रों की स्थिति को बदलने के बजाए, हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे के तहत आने वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं.

 

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